अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्य्क्ष महंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद मठ की गद्दी पर कौन विराजमान होगा इसका फैसला हो गया है. मिली जानकारी के मुताबिक, मठ बाघम्बरी गद्दी के उत्तराधिकारी बलवीर गिरि होंगे. लेकिन इसका औपचारिक ऐलान पांच अक्टूबर को सोडसी भोज के दिन किया जाएगा. महंत नरेंद्र गिरि के कमरे से जो सुसाइड नोट मिला था, उसमें बलवीर गिरि का नाम लिखा था. बलवीर को ही गद्दी का महंत बनाने के लिए नोट में लिखा हुआ था. अब जानकारी मिली है कि निरंजनी अखाड़े के पदाधिकारियों के मुताबिक दो दिन बाद एक संतो की बैठक होगी. बैठक में मोहर लगने के बाद आने वाली पांच अक्टूबर को सोडसी भोज के दिन पंचपरमेश्वर की बैठक होने के बाद पूरे विधि विधान से बलवीर गिरि का पट्टाभिषेक कर उन्हें मठ बाघम्बरी गद्दी का महंत बना दिया जाएगा.
क्या होती है सोडसी
सोडसी भोज साधु संतों में होता है यानी सोलहवे दिन का भोज. इस भोज में मर्तक साधु के 16 पसंदीदा वस्तुओं का दान भी किया जाता है. आम आदमियों में 13 दिन के बाद तेरहवीं संस्कार किया जाता है लेकिन साधुओं में सोडसी मनाई जाती है. इसमें जिस संत की मृत्यु हुई है उसको जो पसंद होता है उन 16 वस्तुओं का 16 लोगों में दान किया जाता है और एक भोज कराया जाता है. माना जाता है कि इससे मृतक आत्मा को 16 संस्कारों से मुक्ति मिल जाती है.
कौन हैं बलवीर गिरि
कौन हैं बलवीर गिरि
बलवीर गिरि का नाम इससे पहले चर्चा में नहीं था. लेकिन अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और मठ बाघम्बरी गद्दी के महंत नरेंद्र गिरि ने अपने 12 पन्ने के सुसाइड नोट में बलवीर गिरि का जिक्र करते हुए उनको मठ का महंत उत्तराधिकारी बनाने के लिए लिखा था. 35 वर्ष के बलवीर गिरि उत्तराखंड के निवासी हैं. साल 2005 में बलवीर गिरि को महंत नरेंद्र गिरि ने दीक्षा दी थी और बलवीर गिरि ने सन्यास धारण कर लिया था.