Russia Ukraine War: Zee News की टीम यूक्रेन के Bucha (बुचा) शहर पहुंच गई है, जहां सैकड़ों लोगों की निर्ममता से हत्या कर दी गई थी. यूक्रेन का Bucha शहर, राजधानी कीव से 25 किलोमीटर दूर उत्तर पश्चिम में स्थित है.
ये एक छोटा सा शहर है, जहां युद्ध शुरू होने से पहले सिर्फ 36 हजार लोग रहते थे. लेकिन 24 फरवरी को युद्ध शुरू होने के बाद यहां से बड़ी संख्या में लोगों ने पलायन किया. और यूक्रेन के पड़ोसी देशों में शरण ले ली. हालांकि, इस दौरान लगभग 2 हजार लोग ऐसे थे, जो इस शहर से बाहर नहीं निकल पाए. यूक्रेन का आरोप है कि रशिया की सेना ने बाद में इन लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी.
शहर से अब तक 300 शव बरामद
यूक्रेन की सरकार ने बताया है कि वो इस शहर में अब तक 300 से ज्यादा लाशें बरामद कर चुकी है. इनमें से कई लाशें ऐसी हैं, जिनके हाथ बंधे हुए हैं और सिर पर गोलियों के निशान हैं. इन लाशों को देख कर ऐसा लगता है कि इन लोगों को युद्ध के समय पहले बंदी बनाया गया और बाद में इनकी हत्या कर दी गई. इसके अलावा जो लाशें, सार्वजनिक स्थानों और सड़कों पर मिली हैं, उनके पास Shopping Bags और रोजमर्रा की जरूरत का सामान बिखरा हुआ है.
जिससे ऐसा लगता है कि ये लोग जब सामान खरीदने के लिए अपने घरों से बाहर निकले, उसी समय उनकी हत्या कर दी गई. इसके अलावा Satellite से ली गई कुछ तस्वीरें भी सामने आई हैं, जिनमें Mass Graves दिख रही हैं. यूक्रेन का आरोप है कि इन सामूहिक कब्रो में 50 से ज्यादा लोगों की लाशें दफन थीं.
डरा देने वाला दिखा सड़कों का नजारा
जब Zee News की संवाददाता शिवांगी ठाकुर इस शहर में पहुंची तो वहां का नजारा डरा देना वाला था. इस शहर में अब भी सड़कों पर सैकड़ों लाशें पड़ी हैं और शहर के कुछ हिस्सों में कब्रें भी खुदी हुई हैं, जिनमें एक साथ कई लोगों के शवों को फेंका गया है. यूक्रेन युद्ध पर ये अब तक की पहली ऐसी ग्राउंड रिपोर्ट है, जो इस शहर में हुए नरसंहार की पूरी कहानी आपको बताएगी.
इस समय यूक्रेन के ज्यादातर प्रांतों और शहरों में युद्ध चल रहा है. लेकिन कहीं से भी अब तक ऐसी तस्वीरें सामने नहीं आई हैं, जैसी तस्वीरें Bucha में देखी गई हैं. इसलिए आपके मन में भी ये सवाल होगा कि आखिर इसी शहर में ये नरसंहार क्यों हुआ? दरअसल 24 फरवरी को जब युद्ध शुरू हुआ था, तब पहला मिसाइल हमला इसी शहर पर हुआ था. आरोप है कि उस समय रशिया की सेना, Bucha में स्थित यूक्रेन के सैन्य हवाई अड्डे को नष्ट करना चाहती थी. जो राजधानी कीव के पास मौजूद वहां का सबसे बड़ा Airbase है.
रूस ने 24 फरवरी को किया था हमला
हालांकि ऐसा कहा जा रहा है कि 24 फरवरी को हुए मिसाइल अटैक में ये Airbase पूरी तरह नष्ट नहीं हुआ, जिसके बाद युद्ध के तीसरे दिन यानी 26 फरवरी को रशिया की सेना ने यहां फिर से हवाई हमला किया और इस दौरान MI Helicopters के जरिए रशिया की Special Forces की कुछ Units को यहां उतार दिया गया.
ये बात उसी दिन की है, जब यूक्रेन ने Bucha में रशिया का एक MI- Helicopter क्रैश होने का दावा किया था. इस घटना का एक वीडियो भी आया था, जो आपने देखा भी होगा. रशिया की Special Forces को ये टारगेट दिया गया था कि वो Bucha में स्थित यूक्रेन के सैन्य ठिकानों को पूरी तरह नष्ट कर दें और यूक्रेन के सैनिकों को सरेंडर करा दें.
कामयाब नहीं हो पाई रूस की सेना
जिससे रशिया के बाकी सैनिक जब Tanks और दूसरे हथियारों के साथ यहां पहुंचे तो उन्हें विद्रोह का सामना ना करना पड़े और वो यहां से राजधानी कीव की तरफ़ आसानी से बढ़ सकें. 26 फरवरी से 30 मार्च तक ये पूरा शहर रशिया की सेना के नियंत्रण में रहा. हालांकि इस दौरान रशिया की सेना अपने मकसद में पूरी तरह कामयाब नहीं हुई और यहां लगातार सैन्य संघर्ष चलता रहा.
यूक्रेन सरकार का आरोप है कि रशिया के सैनिक अपने मकसद में कामयाब नहीं हो रहे थे इसलिए उन्होंने बौखलाहट और गुस्से मे वहां के स्थानीय नागरिकों को निशाना बनाना शुरू कर दिया. इस नरसंहार में 300 लोगों की हत्या कर दी. इसके अलावा रशिया के सैनिकों पर आरोप है कि उन्होंने वहां की स्थानीय महिलाओं के साथ रेप किया और फिर उनकी भी हत्या कर दी.
यूक्रेन पर झूठी सूचना फैलाने का आरोप
हालांकि यहां महत्वपूर्ण बात ये है कि इस शहर से ये सारी तस्वीरें तब आनी शुरू हुईं, जब रशिया ने इस इलाके से अपनी सेना को वापस बुला लिया और ये शहर फिर से यूक्रेन के नियंत्रण में चला गया. मतलब इस नरसंहार को लेकर अब तक जितनी भी बातें सामने आई हैं, वो सारी बातें यूक्रेन की सरकार ने दुनिया को बताई है. इसीलिए रशिया ये कह रहा है कि यूक्रेन पश्चिमी मीडिया की मदद से दुनिया में झूठ फैला रहा है.
इसलिए आपको रशिया का पक्ष भी जान लेना चाहिए. रशिया ने बताया है कि उसकी सेना 30 मार्च को ही इस शहर से निकल गई थी. जबकि लाशों की जो तस्वीरें हैं, वो पहली बार 3 अप्रैल को दुनिया के सामने आईं. इसलिए रशिया का आरोप है कि यूक्रेन की सेना ने 30 मार्च से 3 अप्रैल के बीच इस शहर में अपनी सेना को इकट्ठा किया और फिर अपनी ही सेना से अपने ही नागरिकों की हत्या करवा दी. ताकि दुनिया में उसके लिए सहानुभूति पैदा हो और रशिया के खिलाफ नफरत की भावना और भड़क जाए. यानी रशिया ये कह रहा है कि यूक्रेन ने दुनिया से मदद लेने के लिए अपने ही नागरिकों को मरवा दिया और इन लाशों की तस्वीरें पश्चिमी मीडिया के सहारे पूरी दुनिया में फैला दी.
जेलेंस्की ने घटना को बताया युद्ध अपराध
यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने कल संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में Bucha की इस घटना को युद्ध अपराध बताया है और कहा है कि अगर संयुक्त राष्ट्र रशिया के ख़िलाफ़ कठोर कार्रवाई नहीं कर सकता तो उसे इस संस्था को बंद कर देनी चाहिए. हालांकि आज ही ये ख़बर आई है कि संयुक्त राष्ट्र, रशिया को अपनी Human Rights Commission से बाहर कर सकता है.
यूक्रेन का Bucha वही शहर है, जहां दूसरे विश्व युद्ध में भी भयानक नरसंहार हुआ था. उस समय जर्मनी की सेना ने इस शहर में स्थानीय लोगों की निर्ममता से हत्या कर दी थी. बाद में जब सोवियत संघ की सेना यहां पहुंची, तब भी इस शहर के काफी लोग मारे गए थे. आप कह सकते हैं कि Bucha युद्ध की इस त्रासदी से पहले भी गुजर चुका है. शायद इन युद्धों में मिले उसे ये जख्म कभी नहीं भर पाएंगे.
अमेरिका ने रूस से तेल आयात बढ़ाया
जब इस युद्ध की शुरुआत हुई थी, तब अमेरिका पहला ऐसा देश था, जिसने रशिया पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया था. उसकी तरफ से पश्चिमी देशों पर भी ये लगातार दबाव बनाया गया कि वो रशिया से गैस और तेल के आयात को पूरी तरह बन्द कर दें. अब जब भारत रशिया से कच्चे तेल का आयात करना चाहता है तो अमेरिका इसका भी विरोध कर रहा है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी, इसी अमेरिका ने पिछले एक हफ्ते में रशिया से तेल आयात 43 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है. ये जानकारी Russian Security Council के Deputy Secretary ने दी है.
रशिया ने बताया है कि अमेरिका अब उससे हर दिन एक लाख बैरल कच्चे तेल का आयात कर रहा है. जो पहले की तुलना में 43 प्रतिशत ज्यादा है. हालांकि अमेरिका का कहना है कि, उसने रशिया के साथ तेल और कोयले के आयात को बन्द करने की Deadline 22 अप्रैल रखी है. इसलिए जब तक ये Deadline नहीं आ जाती, तब तक वो मौजूदा डील के तहत रशिया से तेल का आयात जारी रख सकता है.
अपने ऐलान का खुद पालन नहीं कर रहा यूएस
सोचिए ये उन पश्चिमी देशों के साथ कितना बड़ा मजाक है, जिन्होंने अमेरिका के कहने पर ये ऐलान किया था कि वो रशिया से गैस और कच्चा तेल नहीं खरीदेंगे. इन देशों में ब्रिटेन भी है, जिसने ये कहा है कि वो इस साल के अंत तक रशिया से तेल आयात पूरी तरह बन्द कर देगा. यानी अमेरिका ने पश्चिमी देशों पर जिस चीज के लिए दबाव बनाया, वो खुद उसका पालन नहीं कर रहा.
चीन ने आरोप लगाया है कि अमेरिका, रशिया से अतिरिक्त कच्चा तेल आयात करके अपने Oil Reserves को बढ़ा रहा है, ताकि मुश्किल समय में वहां कच्चे तेल का कोई संकट पैदा ना हो और अमेरिका पश्चिमी देशों की तेल की जरूरत को भी पूरा कर पाए.
भारत को लेक्चर देने में लगे हैं पश्चिमी देश
बड़ी बात ये है कि पश्चिमी देशों ने रशिया से कच्चे तेल के आयात पर जो प्रतिबंध लगाए थे, उनका असर सिर्फ एक हफ्ते तक रहा. 19 फरवरी से 25 फरवरी के बीच इन देशों ने रशिया से गैस और कच्चा तेल नहीं खरीदा. लेकिन मार्च के पहले हफ्ते में यही देश रशिया से कच्चा तेल खरीदने के लिए लाइन में खड़े हो गए. इस दौरान रशिया ने प्रति दिन 1 लाख 48 हजार बैरल Crude Oil इन देशों को बेचा.
इससे ये पता चलता है कि ये देश मानवता और शांति के नाम पर बड़े बड़े लेक्चर तो देते हैं लेकिन जब बात इनके हितों की आती है तो ये अपने बनाए नियम और सिद्धांत ही भूल जाते हैं. वहीं जब इसी तरह भारत अपने हितों के बारे में सोचता है तो ये देश इस बात को बर्दाश्त नहीं करते और ये भारत की आलोचना करने लगते हैं.