जगदलपुर। छत्तीसगड़ के पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश में पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है। पुलिस ने 5 लाख रुपए के एक खूंखार माओवादी को गिरफ्तार किया है। यह विधायक समेत 2 नेताओं की हत्या करने की वारदात में शामिल रहा है। गिरफ्तार किए गए माओवादियों के पास से करीब 39 लाख रुपए नकद भी बरामाद किया गया है। इधर आंध्र प्रदेश के सामने ही 60 माओवादी ने पुलिस के सामने पहुंच हथियार डाल दिए हैं। आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू जिला में पेदाबायुलु-कोरुकोंडा क्षेत्र समिति के सचिव वंथला रामकृष्ण को गिरफ्तार किया है। रामकृष्ण ने सितंबर 2018 में आंध्र प्रदेश के डुम्ब्रीगुडा मंडल में तत्कालीन तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के विधायक किदारी सर्वेश्वर राव और सिवेरी सोमा सहित दो राजनीतिक नेताओं की हत्या में शामिल मुख्य आरोपियों में से एक है। गिरफ्तार माओवादी वंथला रामकृष्ण के अलावा प्रभाकर उर्फ अशोक उर्फ गोड्डाली रायुडू के नाम से जाना जाता था।
विशाखापट्टनम रेंज के उप महानिरीक्षक एस. हरिकृष्णा और अल्लूरी सीतारामा राजू जिले के SP एस सतीश कुमार ने कहा कि, शीर्ष माओवादी नेता रामकृष्ण को पेदाबयालु पुलिस ने पकड़ा है। माओवादी पेदाबयालु मंडल के तहत कोंड्रम गांव से इंजरी गांव जा रहा था। इस बीच मुखबिर की सूचना के अनुसार पुलिस इन्हीं गांवों के जंगल में ऑपरेशन पर निकली थी। यहीं से घेराबंदी कर गिरफ्तार कर लिया गया। रामकृष्ण कोंड्रम गांव का निवासी है और दलम सदस्य, और पार्टी सदस्य के रूप में संगठन में शामिल हुआ था।
कई लोगों को मुखबिर बताकर मार दिया
रामकृष्ण को क्षेत्र समिति सदस्य और क्षेत्र समिति सचिव बनाया गया था। इसके बाद ओडिशा के मलकानगिरी और कोरापुट जिलों, पूर्वी गोदावरी और ASR जिलों में माओवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ चला गया था। जो आंध्र-ओडिशा विशेष क्षेत्रीय समिति क्षेत्र (AOBSZC) में स्थित हैं। रामकृष्ण कुल 124 मामलों में शामिल था। इस पर 5 लाख रुपए का इनाम घोषित था। पुलिस के अनुसार, माओवादी ने कई आदिवासियों को पुलिस का मुखबिर बताकर उन्हें मारा है।
छत्तीसगढ़ इलाके में एक्टिव थे सरेंडर करने वाले नक्सली
रामकृष्ण के पास से 39 लाख रुपए नगद, पांच डेटोनेटर और एक 9MM पिस्टल बरामद किया गया है। इधर, आंध्र-ओडिशा सीमा (AOB) माओवादी संगठन से संबंधित आठ महिलाओं सहित कुल 60 सदस्यों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया। आत्मसमर्पण करने वाले लोग कोंड्रम, थगुपाडु, जुमादम, नानुबारी और जदीगुडा के माओवादी प्रभावित आदिवासी गांवों के थे। येसभी छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा इन सभी राज्यों की सीमावर्ती इलाकों में सक्रिय थे।