राजनांदगांव। शासकीय दिग्विजय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय प्रदेश के सबसे बड़े और पुराने महाविद्यालय में से एक है जिसकी स्थापना 13 जुलाई 1957 को हुई थी। प्राचार्य डॉ. के. एल.टांडेकर के मार्गदर्शन एवं जनभागीदारी समिति अध्यक्ष रईस अहमद शकील की अध्यक्षता में IQAC के बैनर तले महाविद्यालय की 66वी स्थापना दिवस पर 03 दिवसीय स्थापना दिवस समारोह का भव्य आयोजन किया जा रहा है। जिसमें प्रथम दिवस स्थापना दिवस समारोह, द्वितीय दिवस महाविद्यालय की गौरव गाथा पर गीत लेखन-वाचन एवं स्लोगन लेखन प्रतियोगिता तथा तृतीय दिवस एलुमनी प्रोफेसर मिलन एवं बैठक समारोह का आयोजन किया जाना है। प्रथम दिवस मुख्य अतिथि के रुप में गिरीश बक्शी, डॉ एम.काले एवं डॉ हेमलता महोबे सम्मिलित हुए । मुख्य अतिथि एवं प्राचार्य डॉ के.एल.टांडेकर ने सर्वप्रथम महंत राजा दिग्विजय दास की मूर्ति का माल्यार्पण कर छत्तीसगढ़ महतारी एवं मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। प्राचार्य महोदय ने महाविद्यालय की स्थापना से जुड़े तथ्यों को साझा करते हुए बताया कि महाविद्यालय की स्थापना किन परिस्थितियों में हुई थी ,तत्कालीन राजनांदगांव रियासत के राजा दिग्विजय दास जी क्षेत्र में उच्चशिक्षा के प्रोत्साहन हेतु अपने महल को शिक्षा के लिए अपना महल समर्पित करते हुए दान किया था। तब से आज तक प्रदेश समेत पूरे क्षेत्र के विकास में महाविद्यालय से पढ़े हुए विद्यार्थियों का विशेष योगदान दिया है जो विभिन्न उद्योग,शिक्षा,उच्च शिक्षा समेत अन्य समस्त क्षेत्रों में आज कार्यरत है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ गिरीश बक्शी ने अपने वक्तव्य में बताया कि महाविद्यालय उस समय क्षेत्र समय-समय पूरे प्रदेश मे विख्यात था। पंडित किशोरी लाल शुक्ल जिसके प्रथम प्राचार्य रहे जिनका महत्वपूर्ण योगदान महाविद्यालय के विकास मे रहा। जिन्होंने अवैतनिक रहकर अपनी सेवा इस महाविद्यालय को दी। गिरीश बक्शी ने पं. किशोरी लाल शुक्ल की स्मृति में महाविद्यालय में मूर्ति स्थापना हेतु Rs.10,000 की राशि देने की घोषणा भी की।
महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ हेमलता महोबे ने बताया कि महाविद्यालय ने उनको बहुत कुछ दिया संस्था की प्राचार्य रहते हुए मुझे महाविद्यालय में सेवा देने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ था। मै इस महाविद्यालय की ऋणी हूं। आनंद सारथी भूतपूर्व छात्र दिग्विजय महाविद्यालय ने महाविद्यालय के समय के अपने संस्मरण साझा किए और उन्होंने बताया कि आज वह जिस मुकाम पर हैं वहां पहुंचने में इस महाविद्यालय ने एक अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने वर्तमान प्राचार्य डॉ के एल टांडेकर की प्रशंसा करते हुए कहा कि आज महाविद्यालय इनके नेतृत्व में उत्तरोत्तर प्रगति कर रहा है। महाविद्यालय में विविध कार्यक्रमों का आयोजन की करवाया जा रहा है जो इस संस्था के विकास में सहयोग देगा। अमलेंद्रु हाजरा जी समाजसेवी राजनांदगांव ने अपने अनुभव को साझा किया और उन्होंने यह भी बताया कि इस महाविद्यालय से पढ़कर शिक्षा हासिल करके उन्होंने आज समाज में एक मुकाम को हासिल किया है उन्होंने एक संस्मरण बताया जिसमें राजनांदगांव दिग्विजय महाविद्यालय से पढ़ें एक रिक्शा चालक ने इनकम टैक्स इंस्पेक्टर के पद पर ज्वाइन किया तत्पश्चात हो अभी दिल्ली मिनिस्ट्री से इनकम टैक्स डायरेक्टर के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। महाविद्यालय की प्रशंसा करते हुए उन्होंने बताया कि महाविद्यालय के प्राध्यापक सदैव ही छात्र हित में कार्य करते रहे हैं एवं वर्तमान में भी यह कार्य निरंतर जारी है जो समाज की प्रगति में योगदान दे रहा है। कार्यक्रम का संचालन IQAC संयोजक डॉ अनिता साहा ने किया। डॉ अंजना ठाकुर ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कार्यक्रम का समापन किया। उक्त समारोह में IQAC की बाह्य समिति के समस्त सदस्य, जनभागीदारी समिति के समस्त सदस्य ,प्राध्यापक ,सहायक प्राध्यापक ,कर्मचारीध्अधिकारी एवं विद्यार्थी सम्मिलित रहे।