नीलम वैष्णव
आइटीबीपी की मेस में भी अब परोसे जाएंगे मोटे अनाज से बने पकवान
छुईखदान. आइटीबीपी जवानों की खाने की थाली में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। सभी यूनिट में जवानों और अफसरों की डाइट का 25% हिस्सा मोटे अनाज (मिलेट) का होगा। आदेश के मुताबिक, बाजरा, ज्वार और रागी के इस्तेमाल की अनुमति दी गई है। अच्छे रिजल्ट आने पर अन्य अनाज को शामिल किया जाएगा।फिलहाल, थाली में 75% परंपरागत अनाज यानी गेहूं और चावल रहेगा। आइटीबीपी के सभी समारोह, बड़े खाने व कैंटीनों में मोटे अनाज का इस्तेमाल करना होगा। छावनियों में बनी कैंटीनों में इसका अलग से काउंटर बनेगा। आइटीबीपी 40वाहिनी के सेनानी अनंत नारायण दत्त उप सेनानी ज्योति प्रकाश ने बताया कि जवानों और अफसरों को अपने घरों में भी मोटे अनाज के इस्तेमाल के बारे में प्रेरित किया जाएगा।मोटे अनाज के गुणों और फायदों को देखते हुए इसे सेना के आहार में शामिल किया जा रहा है. क्योंकि मोटा अनाज स्वास्थ्यवर्धक होने के साथ ही प्रोटीन की मात्रा से भी भरपूर होता है. इसके सेवन से आलस और गलत डाइट वाली खानपान से भी छुटकारा मिलता है. सेना के जवानों को राशन में मोटा अनाज देने का अहम मकसद उन्हें हेल्दी खुराक देना और स्वस्थ रखना है.
आइटीबीपी के रसोइयों को मिलेट के स्नैक्स बनाने की ट्रेनिंग दी गई
आइटीबीपी के जवानों और अफसर मोटे अनाज को रुचि से खाएं, इसके लिए आइटीबीपी के पांच रसोइयों को विशेष रूप से ट्रेनिंग रायपुर में दिलाई गई है। ट्रेनिंग में रसोइयों को बताया गया है कि ज्वार, बाजरा और रागी से नाश्ते, खाने और मिठाई में क्या-क्या बनाया जा सकता है। ये सभी रसोइए आइटीबीपी के डोंगरगढ़ , गातापार ,मलाईदा कन्हारगांव ,बकरकट्टा , बुरहानभाट, केंपो में मिलेट्स से बने व्यंजन परोसेंगे l
आठ मोटे अनाज को किया गया हैं शामिल
भारत सरकार के प्रयासों से इस साल को इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर के तौर पर मनाया जा रहा है. मोटा अनाज भारत की परंपरागत फसलों में बहुत पहले से ही शामिल है. यह भारतीय आबोहवा में काफी आसानी से पैदा हो जाता है. इसमें आठ फसलों को शामिल किया गया है जिसमें, ज्वार, बाजरा, सावां, कंगनी, कुटकी, कोदो, रागी और चेना है.
मोटे अनाज के अनगिनत फायदे- उप सेनानी ज्योति प्रकाश
आइटीबीपी 40वाहिनी के उप सेनानी ज्योति प्रकाश ने मिलेट के कई फायदे गिनाए गए हैं। मोटे अनाज के जरिए शरीर को बहुत अच्छी मात्रा में पोषक तत्त्व जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, डाइटरी फाइबर और गुड क्वॉलिटी फैट आदि मिल जाते हैं। इसके साथ ही मोटे अनाज में कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम, आयरन, मैगनीज, जिंक और बी कॉम्पलेक्स विटामिन जैसे मिनरल भी रहते हैं। इसी वजह से मिलेट को ‘न्यूट्रिशन रिच एंड क्लाइमेट स्मार्ट’ फसल कहा जाता है।
UN ने 2023 को मिलेट ईयर घोषित किया
संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज (मिलेट) वर्ष घोषित किया है। इसका प्रस्ताव भारत ने दिया था। 72 देश इसका समर्थन कर चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहल करते हुए 20 दिसंबर 2022 काे संसद में अन्य सांसदों के साथ मोटे अनाज से बना भोजन खाया था।