रायपुर। छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी संयुक्त मोर्चा की आपात बैठक रायपुर में रखी गई थी।जिसमे मोर्चा से जुड़े प्रांत अध्यक्षों ने सर्व सम्मति से आंदोलन स्थगित करने का निर्णय लिया है। छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा, छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी महासंघ अनिल शुक्ला, छत्तीसगढ़ मंत्रालयीन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष महेंद्र सिंह राजपूत ने संयुक्त बयान जारी कर बताया कि प्रदेश राजपत्रित अधिकारी संघ के प्रांतीय कार्यालय में कई घंटे चली मैराथन बैठक में पांच सूत्रीय मांगों को लेकर 23 जून को मुख्य सचिव को दो चरण में आंदोलन करने नोटिस दिया गया था।सरकार को आंदोलन के लिए दिए गए 5 सूत्रीय मांगों में केंद्र के समान देय तिथि से महंगाई भत्ता,केन्द्र के समान सातवें वेतनमान में गृहभाड़ा भत्ता, पिंगुआ कमेटी का रिपोर्ट, अनियमित/दैनिक वेतनभोगी/संविदा/कार्यभारित/अन्य कर्मचारियों का नियमितीकरण, पेंशन हेतु प्रथम नियुक्ति तिथि से सेवाकाल की गणना तथा पेंशन अहर्तादायी सेवा 33 के स्थान पर 20 वर्ष करने का मुद्दा शामिल है।प्रथम चरण का आंदोलन 7 जुलाई को आयोजित किया गया था।उक्त आंदोलन में प्रदेश के 145 संगठनों ने मंत्रालय, संचालनालय,कलेक्टर कार्यालय, स्कूल सहित मैदानी कार्यालयों में ताला लगा हुआ था।
विज्ञप्ति में आगे बताया गया कि सरकार ने मोर्चा के अनिश्चितकालीन हड़ताल को देखते हुए प्रदेश के संवेदनशील मुख्यमंत्री द्वारा विधानसभा में अनुपूरक बजट के दौरान कर्मचारियों के लिए अनेक घोषणाएं की गई थी।
संयुक्त मोर्चा के प्रवक्ता चंद्रशेखर तिवारी एवम् संजय तिवारी ने बताया कि कर्मचारी हित में मुख्यमंत्री की घोषणा तथा अन्य मुद्दों के समाधान हेतु त्वरित प्रशासकीय कार्यवाही करने के लिए विधानसभा में मुख्यमंत्री के साथ संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों की हुई सार्थक चर्चा अनुसार मुख्यमंत्री के अश्वासन पर विश्वास करते हुए संयुक्त मोर्चा की बैठक में विचार विमर्श उपरांत 1 अगस्त 23 से घोषित अनिश्चितकालीन हड़ताल को स्थगित रखने का निर्णय सर्व सम्मति से लिया गया है।बैठक में मोर्चा के शीर्ष पदाधिकारियों को मंत्रालय स्तर पर अन्य मुद्दों के क्रियान्वयन हेतु जिम्मेदारी दी गई।