नई दिल्ली. संसद में जारी गतिरोध को दूर करने के मकसद से लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सत्ता पक्ष और विपक्ष की मंगलवार को बुलाई. हालांकि इस दौरान दोनों ही पक्ष अपने-अपने रुख पर अड़े रहे और यह सर्वदलीय बैठक बेनतीजा ही खत्म हो गई. सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि संसद में गतिरोध समाप्त करने के लोकसभा अध्यक्ष के प्रयासों के बावजूद, विपक्षी दलों ने अपने रुख से पीछे हटने से इनकार कर दिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मणिपुर के हालात पर बयान देने की मांग पर अड़े रहे.
एक सूत्र ने बताया कि “सर्वदलीय बैठक में सरकार ने कहा कि वह मणिपुर की मौजूदा स्थिति पर चर्चा के लिए तैयार है.’ ओम बिरला ने सभी नेताओं से इस विषय पर अपनी पार्टी में एक बार फिर चर्चा करने का आग्रह किया. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर एक बार फिर बैठक की जाएगी.
‘सरकार हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार’
इस बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘सदन के सामने देशहित से जुड़े कई विधेयक और मुद्दे चर्चा के लिए लंबित हैं.’ उन्होंने कहा, ‘सरकार कोई भी विधेयक बिना चर्चा के पारित नहीं करना चाहती है और हर मुद्दे पर व्यवस्थित और रचनात्मक तरीके से चर्चा कराना चाहती है.’
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘मैं विपक्ष से एक बार फिर सदन चलाने में सहयोग देने की अपील करता हूं.’ उन्होंने कहा, ‘लोकसभा अध्यक्ष जब भी निर्णय करेंगे हम मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा करने को तैयार हैं और अगर वह कल चर्चा कराने का निर्णय करते हैं तो हम तब भी तैयार हैं.’ उन्होंने कहा कि चर्चा के बाद गृह मंत्री (अमित शाह) इसका विस्तृत जवाब देंगे.
वहीं एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि महिलाओं पर अत्याचार हों या दलितों पर अत्याचार हों, इसे लेकर राजस्थान के सांसद भी चर्चा की मांग कर रहे हैं और इस बारे में लोकसभा अध्यक्ष को निर्णय करना है.
‘मणिपुर की चर्चा की मांग तुरंत कर ली गई थी स्वीकार’
इस दौरान वही मौजूद विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने संवाददाताओं से कहा, ‘मैं याद दिलाना चाहता हूं कि जब मणिपुर के मुद्दे पर गृहमंत्री अमित शाह जी ने बैठक बुलाई थी और उसके बाद जब राजनीतिक दलों के सदन के नेताओं की सर्वदलीय बैठक हुई थी, उन सभी बैठकों में प्रधानमंत्री जी से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं था.’ उन्होंने कहा कि सदन के नेताओं की सर्वदलीय बैठक में उन्होंने (विपक्ष) तत्काल चर्चा की मांग की थी और बैठक की अध्यक्षता कर रहे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस अनुरोध को तुरंत स्वीकार कर लिया.
विधि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री की लोकप्रियता के कारण हताश, निराश विपक्ष अब सदन को बाधित करने के बहाने ढूंढ़ रहा है. मेघवाल ने कहा, ‘हम गतिरोध समाप्त करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन विपक्षी दल हर बार नई मांग लेकर आ जाते हैं.’
लोकसभा अध्यक्ष की बुलाई बैठक में शामिल हुए ये नेता
निचले सदन में गतिरोध को समाप्त करने के लिए मंगलवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा बुलाई गई बैठक में संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी, विधि मंत्री अर्जुनराम मेघवाल के अलावा लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, तृणमूल कांग्रेस नेता सुदीप बंदोपाध्याय, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले और अपना दल से अनुप्रिया पटेल उपस्थित थीं.
इसके अलावा इसमें जनता दल (यूनाइटेड) के ललन सिंह, डीएमके के टीआर बालू, नेशनल कॉन्फ्रेंस से फारूक अब्दुल्ला, लोक जनशक्ति पार्टी से पशुपतिनाथ पारस, एआईएमआईएम से असदुद्दीन ओवैसी, तेलुगू देशम पार्टी से नामा नागेश्वर राव, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी से सीपीआर नटराजन, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) से ईटी बशीर मोहम्मद तथा तेलंगाना राष्ट्र समिति से श्रीनिवास रेड्डी मौजूद रहे.
बता दें कि पिछले सप्ताह गुरुवार से शुरू हुए संसद के मानसूत्र सत्र की शुरुआत से ही मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर गतिरोध बना हुआ है. निचले सदन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह दोनों कह चुके हैं कि सरकार इस मुद्दे पर चर्चा को तैयार है. हालांकि, विपक्ष इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान और इसके बाद चर्चा की मांग पर अड़ा हुआ है.
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने भी इस मुद्दे पर सोमवार को विपक्षी दलों के नेताओं के साथ बैठक की थी, जिसमें कांग्रेस सांसद जयराम रमेश, बीआरएस के के केशव राव, बीजू जनता दल के सस्मित पात्रा और आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा शामिल हुए थे. वहीं बीजेपी सूत्रों ने बताया कि गतिरोध दूर करने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अलग से राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और डीएमके नेता टी आर बालू से बात की थी, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला.