प्रधानमंत्री मोदी मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के सीएम राइज शासकीय महात्मा गांधी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में नवनियुक्त शिक्षकों के प्रशिक्षण-सह-अभिमुखीकरण कार्यक्रम को डिजिटल माध्यम से संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि ‘अमृत काल’ के पहले साल में ही सकारात्मक खबरें आनी शुरू हो गई हैं, जो बढ़ती समृद्धि और घटती गरीबी को दर्शाती हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने नीति आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पांच साल में 13.50 करोड़ भारतीय बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) श्रेणी से बाहर आ गए हैं. उन्होंने कहा कि आयकर रिटर्न की संख्या से पता चलता है कि पिछले नौ वर्षों के दौरान भारतीयों की औसत आय बढ़कर 13 लाख रुपये हो गई है, जो 2014 में 4 लाख रुपये थी. उन्होंने कहा कि लोग निम्न से उच्च आय वर्ग की ओर बढ़ रहे हैं.
‘सभी क्षेत्रों में पैदा हो रहे रोजगार’
पीएम मोदी ने कहा कि आंकड़ों से पता चलता है कि सभी क्षेत्रों को ताकत मिल रही है और रोजगार के अवसर पैदा हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि नागरिकों का विश्वास बढ़ रहा है. वे इस विश्वास के साथ अपना कर जमा करने आ रहे हैं कि उनका हर पैसा देश के विकास पर खर्च होगा. उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था 2014 में विश्व में 10वें स्थान से अब 5वें स्थान पर पहुंच गई है.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘2014 से पहले भ्रष्टाचार और घोटालों के युग में गरीबों के अधिकार और उनके पैसे को उनके खातों में पहुंचने से पहले ही लूट लिया जाता था. अब, एक-एक पैसा सीधे उनके खातों में पहुंच रहा है.’ उन्होंने कहा कि ‘सिस्टम में लीकेज’ को रोकने का मतलब गरीबों के कल्याण पर अधिक पैसा खर्च करना है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि निवेश से रोजगार पैदा हुआ है और 2014 के बाद भारत में पांच लाख नए कॉमन सर्विस सेंटर स्थापित किए गए हैं, जिससे कई लोगों को रोजगार मिला है. उन्होंने कहा, ‘आज नियुक्ति पत्र प्राप्त करने वाले शिक्षक इस ऐतिहासिक काल में शिक्षण की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी से जुड़ रहे हैं. वे भारत की भावी पीढ़ियों को गढ़ने, उन्हें आधुनिक बनाने और एक नई दिशा देने की जिम्मेदारी संभालेंगे.’
‘एनईपी के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे नए शिक्षक’
पीएम मोदी ने कहा कि नए शिक्षक राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. वे विकसित भारत बनाने के संकल्प को पूरा करने में बहुत बड़ा योगदान देंगे. उन्होंने कहा कि एनईपी में पारंपरिक ज्ञान के साथ-साथ भविष्य की तकनीक को भी समान महत्व दिया गया है. प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में एक नया पाठ्यक्रम तैयार किया गया है, जबकि मातृभाषा में शिक्षा (प्रदान करने) के संबंध में प्रगति हुई है. उन्होंने कहा कि अंग्रेजी नहीं जानने वाले छात्रों को मातृभाषा में शिक्षा नहीं देने से बहुत बड़ा अन्याय होता है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार पाठ्यक्रम में क्षेत्रीय भाषाओं की किताबों पर जोर देती है जो देश की शिक्षा प्रणाली में बड़े बदलाव का आधार बनेगी. उन्होंने कहा कि जब निर्णय, सकारात्मक सोच, सही इरादे और पूरी निष्ठा के साथ लिए जाते हैं, तो पूरा वातावरण सकारात्मकता से भर जाता है और पीएम विश्वकर्मा योजना की घोषणा इसी दृष्टिकोण का प्रतिबिंब है.
प्रधानमंत्री ने बढ़ई, राजमिस्त्री और सुनार सहित पारंपरिक कौशल में लगे लोगों के लिए आजीविका के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए लाल किले से अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन के दौरान 13,000 से 15,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ विश्वकर्मा योजना की घोषणा की थी.
पीएम मोदी ने कहा, ‘पारंपरिक कौशल को 21वीं सदी की जरूरतों के अनुरूप ढालने के लिए विश्वकर्मा योजना बनाई गई है. इस योजना पर लगभग 13,000 करोड़ रुपये खर्च की जाएगी, जिससे 18 विभिन्न प्रकार के कौशल से जुड़े लोगों को लाभ होगा.” प्रशिक्षण-सह-अभिमुखीकरण कार्यक्रम के दौरान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 10 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र सौंपे. इस अवसर पर 5,580 नवनियुक्त शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दिये गये.