श्रीनगर: ज़ी मीडिया को खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी के मुताबिक, इस साल सितंबर महीने में PoK के मुजफ्फराबाद (Muzaffarabad) में ISI ने लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद समेत कई आतंकियों के टॉप कमांडर्स के साथ बैठक की थी, जिसमें जम्मू-कश्मीर में पुलिस और सुरक्षाबलों के साथ-साथ आम लोगों को निशाना बनाने की साजिश रची गई थी.
आईएसआई ने आतंकियों को दिए ये निर्देश
बैठक में ISI ने LeT और JeM जैसे आतंकी गुटों से कहा था कि नए-नए नाम से गुट बनाकर जम्मू-कश्मीर में हमले करें और आतंकी हमले की जिम्मेदारी लेने से बचें. जानकारों के मुताबिक, इसके पीछे सबसे बड़ी वजह ये है कि PoK और पाकिस्तान से संचालित होने वाले LeT और JeM जैसे गुटों का नाम सामने आने से पाकिस्तान को डर है कि उस पर फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की कार्रवाई हो सकती है. पाकिस्तान अभी FATF की ग्रे लिस्ट में है.
श्रीनगर में आतंकी हमले के पीछे कौन?
जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में सोमवार को पुलिस की बस पर हुए आतंकी हमले में लश्कर का हाथ होने का शक है लेकिन इस हमले की जिम्मेदारी ‘कश्मीर टाइगर’ नाम के एक गुट ने ली है. जानकारी के मुताबिक, मुजफ्फराबाद में हुई बैठक में ISI ने आतंकी गुटों को करीब 200 लोगों की लिस्ट भी सौंपी थी, जिन पर हमले करने को कहा गया. इस लिस्ट में कश्मीरी पंडितों के साथ-साथ पत्रकारों पर भी हमले के निर्देश दिए गए थे.
दुनिया को क्या दिखाना चाहता है पाकिस्तान?
ISI ने सभी आतंकी गुटों से ये भी कहा था कि हमले के लिए ऐसे आतंकियों का इस्तेमाल किया जाए जिनका पहले से कोई टेरर रिकॉर्ड न हो जिससे दुनिया को ये दिखाया जा सके कि ऐसे हमलों में पाकिस्तान का कोई हाथ नहीं है.
मुजफ्फराबाद में हुई इस बैठक में 200 से ज्यादा आतंकी शामिल हुए थे. कश्मीर में जहां सुरक्षाबल लगातार घाटी से आतंक का सफाया कर रहे हैं, वहीं सुरक्षा एजेंसियों की नजर ‘पार्ट टाइम आतंकियों’ पर है. पार्ट टाइम आतंकी, जिन्हें हाइब्रिड आतंकी भी कहा जाता है. ये सुरक्षा एजेंसियों की लिस्ट में नहीं होते हैं लेकिन आतंकी घटना को अंजाम देने के बाद गायब हो जाते हैं. इन आतंकियों के बारे में पुलिस के पास कोई रिकॉर्ड नहीं होता है, ऐसे में इन्हें पकड़ना भी मुश्किल होता है.
जम्मू-कश्मीर से जुड़े सुरक्षा अधिकारियों के मुताबिक, घाटी में पिछले कुछ दिनों में आतंकी हमले से जुड़ी घटनाओं की जांच में पता चला है कि कुछ हमलों को रेडिकलाइज्ड युवाओं ने अंजाम दिया है. सबसे खास बात ये है कि हमलों को अंजाम देने वालों का आतंक से जुड़ा कोई रिकॉर्ड नहीं रहा है. इन घटनाओं ने सुरक्षाबलों के सामने नई परेशानी खड़ी कर दी है क्योंकि पार्ट टाइम आतंकियों पर नजर रखना आसान नहीं है.
जानकारों के मुताबिक, कश्मीर में पार्ट टाइम या हाइब्रिड आतंकियों का इस्तेमाल पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के इशारे पर आम लोगों पर हमले के लिए किया गया है. ऐसे हमले का मकसद आम लोगों में भय पैदा करना है. पार्ट टाइम आतंकी हमले के बाद अपनी सामान्य दिनचर्या में वापस लौट जाते हैं. ये आतंकी हमले के लिए पिस्टल जैसे छोटे हथियार का इस्तेमाल करते हैं जो हमले को अंजाम देने के बाद आसानी से छुपाई जा सकता है. ये भीड़ में चुपचाप छुपकर घटना की जगह से फरार हो जाते हैं.