J&K को कब मिलेगा राज्य का दर्जा, कब होंगे चुनाव? SC के सवाल पर ये बोला केंद्र

What is Article 370: जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 को निरस्त करने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट लगातार सुनवाई कर रहा है. मंगलवार को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने केंद्र सरकार से पूछा कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्ज कब वापस मिलेगा और वहां चुनाव कब होंगे?

इस पर मोदी सरकार ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा स्थायी नहीं है और लद्दाख का केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा फिलहाल बरकरार रहेगा. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह जम्मू-कश्मीर, लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश के दर्जे के भविष्य पर 31 अगस्त को  बयान देगा.

2019 में बनाए गए थे दो केंद्र शासित प्रदेश

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए समय सीमा के बारे में केंद्र सरकार से निर्देश लेने को कहा, जिसे 2019 में दो केंद्र शासित प्रदेशों में बदल दिया गया था.

चीफ जस्टिस डी.वाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली संविधान पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि पूर्ववर्ती राज्य स्थायी रूप से केंद्र शासित प्रदेश नहीं हो सकता. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, हम समझते हैं कि ये राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले हैं और आखिरकार देश की रक्षा ही सबसे बड़ी चिंता का विषय है. लेकिन आपको किसी बंधन में डाले बिना, आप (एसजी) और अटॉर्नी जनरल दोनों आला स्तर पर निर्देश मांग सकते हैं – क्या कोई समय सीमा ध्यान में रखी गई है?

सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार की तरफ से निर्देश मिला है कि लद्दाख स्थायी रूप से केंद्र शासित प्रदेश रहेगा. जबकि जम्मू-कश्मीर का केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा स्थायी नहीं है.

राज्य में कब होंगे चुनाव?

चीफ जस्टिस ने केंद्र सरकार से यह भी पूछा कि वह राज्य में चुनाव कब करवा रही है? साथ ही एसजी तुषार मेहता से सीजेआई ने वह कानून दिखाने को कहा, जिसके आधार पर जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया.

इस पर तुषार मेहता ने अनुच्छेद तीन का हवाला देते हुए कहा कि संसद को किसी भी राज्य को केंद्र शासित बनाने और सीमा तय करने का अधिकार है. इस पर सीजेआई ने पूछा कि तो फिर एक ही केंद्र शासित प्रदेश क्यों नहीं रहने दिया गया? लद्दाख और जम्मू-कश्मीर दो अलग केंद्र शासित प्रदेश क्यों बनाए गए?

वहीं जस्टिस किशन कौल ने सवाल उठाया कि अगर लद्दाख को बिना अलग किए ही एक ही केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाता तो क्या फर्क पड़ता? इस पर तुषार मेहता ने कहा कि पहले अलग करना अपरिहार्य और अनिवार्य है. त्रिपुरा और असम का उदाहरण देकर उन्होंने कहा कि इन राज्यों को भी पहले केंद्र शसित प्रदेश ही बनाया गया था.

error: Content is protected !!