डोंगरगढ़। संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ससंघ चंद्रगिरि डोंगरगढ़ में विराजमान है | आज के प्रवचन में आचार्य श्री ने बताया कि बड़े – बड़े नगर, गाँव से बहुत दूर – दूर से आप लोग दर्शन के लिये अच्छे श्रद्धा, भक्ति भाव के साथ आ रहे हैं | शब्द के बिना अपने भावों कि अभिव्यक्ति नहीं किया जा सकता है | अहिंसा क्या है ? अ + हिंसा = अहिंसा अर्थात हिंसा से दूर रहो | अहिंसा का पालन करो | हिंसा का जहाँ अभाव हो गया है वही अहिंसा है | मंदिर में श्री जी का दर्शन कर शांति से बैठे है | स्तुति, वंदना आदि कर लेते हैं और यदि स्तुति आदि नहीं भी करते हैं और शांति से बैठे है और किसी का प्रतिकार नहीं करते हैं तो आपको भी उतना ही लाभ मिलेगा जितना स्तुति करने वाले को मिलता है | यह सब कुछ साधु श्रावकों को समझा रहे थे | अपनी – अपनी क्षमता के अनुसार सबको समझ आ गया | वही पास में एक सर्प बैठा था उसने सब सुना तो उसको लगा कि धर्म इतना सरल और सहज है तो वह महाराज के पास गया और डंडवत प्रणाम किया डंडवत समझते हो डंडे कि तरह सीधा लेटकर साष्टांग नमस्कार किया | महाराज ने कहा तुम भी नियम संयम ले लो तुम भी मनुष्य जैसा धर्म पालन कर सकते हो | आज से किसी को भी डसना नहीं काटना नहीं क्योंकि काटने से भी बहुत बड़ी हिंसा होती है इसलिए श्रावक लोग भी साग, सब्जी, फल आदि को बनाने के पहले सुधारते है काटते नहीं है | धर्म को इतना सरल जानकर सर्प ने नियम ले लिया कि आज से किसी को काटूँगा नहीं वह फणधारी सर्प था | नियम लेने के बाद वह किसी को भी काटता नहीं था कोई कुछ भी करे सब को क्षमा – क्षमा – क्षमा कर देता था | अब तो बच्चे भी उसकी मूछ और पूंछ पकड़कर उसके साथ खेलने लगे | कोई भी आते जाते उसको छेड़ने लगा |
फिर वह महाराज के पास गया और उनको बताया कि उसके साथ ऐसा दुर्व्यवहार किया जा रहा है तो महाराज ने कहा कि हमने आपको नहीं काटने का नियम दिया था परन्तु आप अपनी रक्षा के लिये फूस – फूस फुंकार मार सकते हो | सर्प ने कहा कि महाराज आप तो सब पर उपकार करते हो आपने मुझपर भी बहुत बड़ा उपकार किया है | सर्प जब बाज़ार कि ओर जाता है तो उसकी फूस – फूस फुंकार को देखकर सेठ – साहूकार, बच्चे आदि भयभीत हो जाते हैं और उससे दूर हो जाते हैं | हमें भी अपने व्यवहार में सरलता और सहजता रखना चाहिये न ही क्रोधित होकर दुर्व्यवहार करना चाहिये | क्रोधी व्यक्ति और दुर्व्यवहार करने वाले व्यक्ति से लोग दूरी बना लेते हैं | यह कथा हमने दूसरी कक्षा में पढ़ी थी आपको भी इससे सीख लेना चाहिये और अपने व्यवहार को अच्छा बनाने का प्रयास करना चाहिये|आज आचार्य श्री विद्यासागर महाराज को नवधा भक्ति पूर्वक आहार कराने का सौभाग्य ब्रह्मचारिणी धारिणी दीदी शिवपुरी मध्य प्रदेश निवासी परिवार को प्राप्त हुआ | जिसके लिये चंद्रगिरी ट्रस्ट के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन, कार्यकारी अध्यक्ष विनोद बडजात्या, कोषाध्यक्ष सुभाष चन्द जैन,निर्मल जैन (महामंत्री), चंद्रकांत जैन (मंत्री ) ,मनोज जैन (ट्रस्टी), सिंघई निखिल जैन (ट्रस्टी),सिंघई निशांत जैन (ट्रस्टी), प्रतिभास्थली के अध्यक्ष प्रकाश जैन (पप्पू भैया), सप्रेम जैन (संयुक्त मंत्री) ने बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें दी| श्री दिगम्बर जैन चंद्रगिरी अतिशय तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन ने बताया की क्षेत्र में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी की विशेष कृपा एवं आशीर्वाद से अतिशय तीर्थ क्षेत्र चंद्रगिरी मंदिर निर्माण का कार्य तीव्र गति से चल रहा है और यहाँ प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ में कक्षा चौथी से बारहवीं तक CBSE पाठ्यक्रम में विद्यालय संचालित है और इस वर्ष से कक्षा एक से पांचवी तक डे स्कूल भी संचालित हो चुका है | यहाँ गौशाला का भी संचालन किया जा रहा है|
जिसका शुद्ध और सात्विक दूध और घी भरपूर मात्रा में उपलब्ध रहता है |यहाँ हथकरघा का संचालन भी वृहद रूप से किया जा रहा है जिससे जरुरत मंद लोगो को रोजगार मिल रहा है और यहाँ बनने वाले वस्त्रों की डिमांड दिन ब दिन बढती जा रही है |यहाँ वस्त्रों को पूर्ण रूप से अहिंसक पद्धति से बनाया जाता है जिसका वैज्ञानिक दृष्टि से उपयोग कर्त्ता को बहुत लाभ होता है|आचर्य श्री के दर्शन के लिए दूर – दूर से उनके भक्त आ रहे है उनके रुकने, भोजन आदि की व्यवस्था की जा रही है | कृपया आने के पूर्व इसकी जानकारी कार्यालय में देवे जिससे सभी भक्तो के लिए सभी प्रकार की व्यवस्था कराइ जा सके |उक्त जानकारी चंद्रगिरी डोंगरगढ़ के ट्रस्टी सिंघई निशांत जैन (निशु)ने दी है |