नारी शक्ति वंदन विधेयक पूर्व प्रधानमंत्री स्‍व. राजीव गांधी की दूरदर्शिता का परिणाम – मदन साहू

राजनांदगांव। बीते कल यानि 20 सितंबर  को नए संसद भवन में बहुमत से पारित नारी शक्ति वंदन विधेयक पूर्व प्रधानमंत्री स्‍व. राजीव गांधी की दूरदर्शिता का परिणाम है। जिला किसान कांग्रेस मदन साहू ने संविधान के 128वें संशोधन के रुप में पारित महिला आरक्षण विधेयक को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्‍होंने कहा कि – यह भाजपा के उन आरोपों का जवाब भी है जिसमें वे 60 सालों में स्‍वतंत्र भारत के विकास और लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था को झूठलाते हैं।

साहू ने कहा कि – सबसे पहले वर्ष 1989 में राजीव गांधी की सरकार में स्‍थानीय निकायों में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने सदन में महिला आरक्षण विधेयक लाया था। वर्ष 1993 में प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्‍हा राव ने दोबारा ये बिल सदन में रखे और पारित करवाए। इसके बाद ही पंचायत और निकायों में महिला आरक्षण लागू हुआ। नतीजा है कि आज देश में तकरीबन 15 लाख महिलाएं निकायों का प्रतिनिधित्‍व कर रहीं हैं।

तथ्‍यों को रखते हुए उन्‍होंने आगे कहा कि – प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में यूपीए सरकार ने लोकसभा व विधानसभा में महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण के लिए 2008 में इस बिल को 108वें संविधान संशोधन विधेयक के रूप में राज्यसभा में पेश किया था। वहां यह बिल नौ मार्च 2010 को भारी बहुमत से पारित हुआ। लेकिन क्षेत्रीय दलों ने इसमें अड़ंगा डाला। यह बिल तब से ही अस्तित्‍व में है। जिसे आज भाजपा सरकार सदन में लेकर आई।

लोकसभा में पारित हो चुके नारी शक्ति वंदन विधेयक पर जिला किसान कांग्रेस अध्‍यक्ष ने कहा कि – वर्ष 2017 में कांग्रेस की राष्‍ट्रीय नेता श्रीमती सोनिया गांधी ने इस आरक्षण विधेयक को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा था। वे स्‍व. राजीव गांधी के महिलाओं को बराबरी का अधिकार का सपना पूरा होते देखना चाहती थीं। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इसमें काफी लेट-लतीफ की लेकिन अब कांग्रेस के नेताओं की रखी बुनियाद पर यह विधेयक पारित हो गया है।

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