नई मुसीबत: ओमिक्रॉन संकट के बीच ‘डेल्मिक्रॉन’ ने बढ़ाई चिंता, विशेषज्ञों से जानिए इन नए खतरे के बारे में विस्तार से

कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट के संक्रमण के मामले भारत सहित दुनिया के तमाम हिस्सों में तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। देश में कोरोना के इस नए वैरिएंट से संक्रमितों की संख्या बढ़कर 300 के आंकड़े को पार कर गई है। अब तक के अध्ययनों में स्वास्थ्य विशेषज्ञ ओमिक्रॉन वैरिएंट को डेल्टा से कई गुना अधिक संक्रामक बता रहे हैं, जिसके चलते लोगों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। कोरोना के इस नए वैरिएंट के बढ़ते मामलों के बीच वैज्ञानिकों ने डेल्मिक्रॉन के खतरे को लेकर भी लोगों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है। वैज्ञानिकों के मुताबिक डेल्मिक्रॉन लोगों में कोरोना के गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है।

एक तरफ जहां दुनियाभर के वैज्ञानिक  अभी भी ओमिक्रॉन वैरिएंट की प्रकृति को जानने के लिए लगातार अध्ययन कर रहे हैं, वहीं संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में कोरोना के बढ़ते मामलों के लिए डेल्मिक्रॉन को जिम्मेदार माना जा रहा है। आइए आगे की स्लाइडों में समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर यह डेल्मिक्रॉन क्या है और क्यों इसे स्वास्थ्य विशेषज्ञ गंभीर मुसीबतों का कारण मान रहे हैं?

क्या है डेल्मिक्रॉन?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक डेल्मिक्रॉन, कोरोना के ओमिक्रॉन और डेल्टा वैरिएंट का संयोजन है, यानि कि एक साथ डेल्टा और ओमिक्रॉन संक्रमण हो जाने की स्थिति को डेल्मिक्रॉन का नाम दिया गया है। महाराष्ट्र कोविड-19 टास्क फोर्स के अधिकारी डॉ शशांक जोशी ने एक रिपोर्ट में बताया, यूरोप और अमेरिका में डेल्टा और ओमिक्रॉन के ट्विन स्पाइक्स से उपजे डेल्मिक्रॉन ने लोगों के लिए मुसीबतें बढ़ा दी हैं। कोरोना के दो अलग-अलग वैरिएंट का संक्रमण गंभीर संमस्याओं का कारण बन सकता है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
अहमदाबाद में महामारी रोग विशेषज्ञ डॉ महावीर चंद्रा बताते हैं, कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट को अब तक का सबसे संक्रामक वैरिएंट माना जा रहा है। वहीं डेल्टा के कारण लोगों में दूसरी लहर के दौरान गंभीर स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं देखने को मिली थीं। ऐसे में डेल्मिक्रॉन, यानी कि इन दोनों का संयोजन गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। कई देशों में लोगों में डेल्मिक्रॉन संक्रमण के मामलों के बारे में पता चला है। अब तक की प्राप्त रिपोर्ट में वैज्ञानिक इसे काफी गंभीर मान रहे हैं।

डेल्मिक्रॉन पर कितनी प्रभावी हो सकती हैं वैक्सीन?
मीडिया रिपोर्टस में वैज्ञानिक बताते हैं, दुनियाभर में प्रयोग में लाई जा रही कोविड-19 वैक्सीन कोरोना के गंभीर संक्रमण और इसके कारण अस्पताल में भर्ती होने के जोखिम को कम करने में सहायक हैं, ऐसे में जिन लोगों को टीके की दोनों डोज मिल चुकी है उन्हें कुछ हद तक सुरक्षित माना जा सकता है। ओमिक्रॉन की संक्रामकता कम करने में वैक्सीन कितनी असरदार हैं, इसको लेकर अध्ययन किया जा रहा है, उसी आधार पर पता चल सकेगा कि डेल्टा और ओमिक्रॉन के संयोजन से वैक्सीन किस हद तक सुरक्षा दे सकती हैं?

ऐसे लोगों में डेल्मिक्रॉन का खतरा अधिक
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, बुढ़ापा और कोमोरबिडिटी के शिकार लोगों में डेल्टा और ओमिक्रॉन से एक साथ संक्रमण का जोखिम अधिक हो सकता है। इसके अलावा दुनिया के जिन हिस्सों में टीकाकरण की दर कम है वहां भी लोगों में इसका खतरा अधिक बना हुआ है। डेल्मिक्रॉन जैसी गंभीर समस्या से बचाव के लिए जल्द से जल्द लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज देने और कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों को बूस्टर खुराक देने की आवश्यकता है।

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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से प्राप्त जानकारियों आधार पर तैयार किया गया है।

दैनिक पहुना लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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