राज्यपाल कोई चुने गए प्रतिनिधि नहीं… AAP सरकार की किस अर्जी पर बोले CJI चंद्रचूड़?

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सोमवार को विभिन्न राज्यों के राज्यपालों द्वारा विधानसभा से पारित विधेयकों पर कार्रवाई से परहेज और उन्हें मंजूरी देने में देरी पर चिंता जाहिर की. कोर्ट ने कहा कि राज्यपालों को यह समझना होगा कि वह कोई जनता द्वारा सीधे चुने गए प्रतिनिधि नहीं है. आत्मावलोकन की जरूरत है.

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud), जस्टिस जेबी पारदीवाला (Justice JB Pardiwala) और जस्टिस मनोज मिश्रा (Justice Manoj Misra) की बेंच पंजाब की आम आदमी पार्टी (AAP) की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. पंजाब की भगवंत मान सरकार ने राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित पर विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी में देरी का आरोप लगाते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया था.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान पंजाब के राज्यपाल की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि राज्यपाल ने उनके पास भेजे गए विधेयकों पर कार्रवाई की और पंजाब सरकार द्वारा दायर याचिका एक अनावश्यक मुकदमा है.

क्या बोले CJI चंद्रचूड़?
इसपर सीजेआई की बेंच ने कहा, ‘राज्यपालों को मामला उच्चतम न्यायालय आने से पहले ही कार्रवाई करनी चाहिए. इसे खत्म करना होगा कि राज्यपाल तभी काम करते हैं जब मामला उच्चतम न्यायालय आता है…राज्यपालों को थोड़ा आत्मावलोकन की आवश्यकता है और उन्हें पता होना चाहिए कि वे जनता के निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं हैं…’ कोर्ट ने कहा कि इस मामले को शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करें तथा अदालत को राज्यपाल द्वारा की गयी कार्रवाई के बारे में बताएं’

AAP सरकार और राज्यपाल के बीच क्यों टकराव?
पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित और मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार के बीच पिछले कुछ वक्त से टकराव की स्थिति है. राज्यपाल ने 19 अक्टूबर को मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में तीन धन विधेयकों को अपनी मंजूरी देने से इनकार कर दिया था. राज्यपाल ने कहा था कि वह विधेयकों को विधानसभा में पेश करने की अनुमति देने से पहले सभी प्रस्तावित कानूनों की गुण दोष के आधार पर जांच करेंगे.

राज्यपाल ने विधानसभा के 20-21 अक्टूबर के सत्र को ‘अवैध’ तक बता दिया था और कहा था कि इस सत्र में किया गया कोई भी विधायी कार्य ‘गैर-कानूनी’ होगा.

हालांकि विवाद के बीच राज्यपाल ने 1 नवंबर को तीन में से दो विधेयकों को अपनी मंजूरी दे दी. इनमें पंजाब माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक- 2023 और भारतीय स्टांप (पंजाब संशोधन) विधेयक-2023 को मंजूरी दे दी है. आपको बता दें कि विधानसभा में धन विधेयक पेश करने के लिए राज्यपाल की मंजूरी की जरूरत होती है.

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