अमेठी अब किसका गढ़?: भाजपा दोबारा जीतेगी विधानसभा सीट या कांग्रेस करेगी पलटवार, जानें लोगों की राय

विधानसभा चुनावों के दौर में रायबरेली-अमेठी का जिक्र हो तो गांधी परिवार का नाम खुद-ब-खुद जुबां पर आ जाता है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पहले अमेठी विधानसभा सीट पर कब्जा किया तो 2019 के लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को मात देकर 1980 से गांधी परिवार का गढ़ बने इस किले को नेस्तनाबूद कर दिया। अब 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं और रायबरेली-अमेठी के सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर एक बार फिर शुरू हो गया है। संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया और राहुल गांधी को अपनी पलकों पर बैठाने वाले अमेठी के लोग क्या 2022 में एक बार फिर कांग्रेस पर भरोसा दिखाएंगे या अब यह भाजपा का नया गढ़ बन गया है? जानते हैं क्या अमेठी के लोगों की राय?

योगी सरकार के कामकाज से खुश हैं लोग
अमेठी निवासी ज्ञानेंद्र तिवारी ने अमर उजाला से कहा कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने काफी अच्छा काम किया है। लोगों को विभिन्न योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है। सरकार ने गुंडों पर कार्रवाई करके माहौल शांतिपूर्ण भी बनाया है। सभी योजनाओं का लाभ समाज के सभी वर्गों को बिना जाति-धर्म का भेदभाव किए मिल रहा है। उन्होंने योगी सरकार पर आरोप लगाया कि गुंडों-अपराधियों पर कार्रवाई करते वक्त सरकार ‘सेलेक्टिव अप्रोच’ अपना रही है।

कांग्रेस की वापसी भी मानी जा रही मुमकिन
अमेठी-रायबरेली के बॉर्डर पर स्थित बहादुरपुर ब्लॉक में रहने वाले हाफिज अहमद ने कहा कि अमेठी में विधायक और सांसद भाजपा का है। इसके बावजूद पूरे ब्लॉक में विकास कार्य नहीं हुआ। यहां स्थित एकमात्र फुटवियर डिजाइनिंग संस्थान भी सही तरीके से संचालित नहीं किया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि अगर राहुल गांधी लोकसभा चुनाव में इस सीट पर किस्मत आजमाते हैं तो उन्हें प्रचंड जीत मिल सकती है। हालांकि, विधानसभा चुनाव के नतीजों पर उन्होंने चुप्पी साध ली।

सीएम योगी से इस बात पर नाराजगी
नंदलाल मिश्रा कहते हैं कि पूरे क्षेत्र में मोदी-योगी को लेकर लोगों की राय बहुत स्पष्ट है। वह यह है कि ये दोनों ही नेता बेहद ईमानदार और दिन-रात जनता के लिए कार्य करने वाले हैं। हालांकि, लोगों में इस बात की नाराजगी है कि योगी आदित्यनाथ ने अपना पूरा कामकाज अधिकारियों के भरोसे छोड़ दिया है और अधिकारी मनमानी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि योगी आदित्यनाथ को दोबारा सत्ता में आना है तो उन्हें अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं और आम लोगों को साथ लेकर काम करना सीखना पड़ेगा।

महंगाई बन सकती है बड़ा मुद्दा
संतराम बताते हैं कि उनके गांव के सभी परिवारों को सरकार की सभी योजनाओं का लाभ मिल रहा है। इसके बावजूद महंगाई के कारण परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है। सरकार को गरीबों की मदद के साथ-साथ महंगाई पर भी नियंत्रण करना चाहिए। उनका मानना है कि आगामी चुनावों में महंगाई बड़ा मुद्दा साबित हो सकती है। साइकिल मैकेनिक दीपक कुमार कहते हैं कि सरकार सड़कों-फ्लाईओवरों का विकास कर रही है तो उसे कहीं न कहीं से धन एकत्र करना ही होगा। ऐसे में पेट्रोल-डीजल की महंगाई की बात समझ में आती है, लेकिन विकास योजनाओं का लाभ पात्र लोगों को ही दिलाने की व्यवस्था भी होनी चाहिए।

कांग्रेस की राह पर भाजपा
अमेठी में रहने वाले संदीप सिंह कहते हैं कि गांधी परिवार अमेठी में ‘ठेके पर खेती’ (अपने जनप्रतिनिधियों के माध्यम से लोगों के कार्य कराने के संदर्भ में) करा रहा था। राजीव गांधी के बाद गांधी परिवार और लोगों का संपर्क टूट गया, जिसके चलते उन्हें हार का सामना करना पड़ा। संदीप ने कहा कि स्मृति ईरानी और गरिमा सिंह जनसंपर्क के मामले में काफी बेहतर नेता हैं। हालांकि उन्होंने आरोप लगाया कि ये दोनों नेता भी अपने परिचितों को योजनाओं का लाभ दिला रही हैं, जिसका नुकसान भाजपा को उठाना पड़ सकता है।

क्या कहते हैं विपक्षी दल?
समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता सुधीर मिश्रा ने कहा कि भाजपा नेताओं से स्थानीय लोग नाराज हैं, जिसका फायदा सपा को मिल सकता है। उनका कहना है कि यदि दागी उम्मीदवार की जगह साफ-सुथरी छवि के व्यक्ति को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया तो सफलता मिल सकती है। वहीं, रायबरेली शहर के कांग्रेस महासचिव प्रमोद पाण्डेय ने कहा कि उनके क्षेत्र में वर्तमान सरकार ने कोई ठोस कार्य नहीं किया। रायबरेली को बेहतर बनाने के लिए जो भी कार्य हुए हैं, वे पूर्ववर्ती सरकार ने किए। सांसद सोनिया गांधी अब भी शहर का विकास करा रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि रायबरेली आज भी राजनीतिक उपेक्षा का शिकार है।

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