जाति प्रमाण पत्र संघर्ष मोर्चे ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर नई सरकार से सुशासन के वादों को पूरा करने की अपील
राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के समय से अनुसूचित जाति वर्ग के महार समुदाय के लोगों के लिए जाति प्रमाण पत्र की समस्या निरंतर बनी हुई है। जाति प्रमाणित करने के बाद भी 1950 के पूर्व वर्तमान छत्तीसगढ़ की भौगालिक सीमा में निवास करने के दस्तावेज की मांग जैसे जटिल नियमों के कारण महार समुदाय के लोगों के जाति प्रमाण पत्र नही बनाए जा रहे हैं। जिसके कारण महार समुदाय के लोगों को राज्य की शासकीय नौकरियों में आरक्षण एवं छात्रवृत्ति का लाभ नहीं मिल पा रहा है। पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा जाति प्रमाण पत्र के सरलीकरण के नाम पर वर्ष 2013 में नियम बनाए गए। इसमें भी 1950 के पूर्व दस्तावेजों की मांग को निरंतर बनाए रखा गया। जिसके चलते महार समुदाय के लोगों को पिछले 23 वर्षों से अपने संवैधानिक अधिकारों एवं अवसरों से वंचित होना पड़ रहा है। जिसके कारण महार समुदाय के लोगों में शिक्षा के प्रति अरुचि,बेरोजगारी एवं आर्थिक असमानता बड़ रही है।
सामाजिक संगठनों द्वारा जाति प्रमाण पत्र की समस्या के समाधान के लिए समय समय में
राज्य सरकारों को अवगत कराया जाता रहा है, लेकिन हर बार इस विषय को राज्य सरकारों द्वारा नजरंदाज कर दिया जाता है।
जुलाई 2022 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार को जाति प्रमाण पत्र की समस्या के समाधान से अवगत कराने के लिए जाति प्रमाण पत्र संघर्ष मोर्चे के बैनर तले राजनांदगांव में धरना प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौप गया था।
इसके अलावा कांग्रेस और भाजपा के विधायक,जनप्रतिनिधि एवं पदाधिकारियों को भी ज्ञापन देकर इस समस्या के समाधान से अवगत कराया गया था।
कांग्रेस के पदाधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा हमेशा यह आश्वासन दिया गया कि कांग्रेस सरकार के अगले कार्यकाल में निश्चित ही इस विषय का समाधान किया जायेगा। लेकिन अब कांग्रेस को राज्य की जनता ने सत्ता से बेदखल कर दिया है।
तत्कालीन कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भाजपा से जुड़े पदाधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों ने भी हमेशा यह दावा किया कि यदि राज्य में भाजपा का शासन होता तो अवश्य ही जाति प्रमाण पत्र की समस्या का निराकरण कर दिया जाता।
अब राज्य और केंद्र में भाजपा का शासन है तो राज्य सरकार को तत्परता के साथ जाति प्रमाण पत्र की समस्या के समाधान के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखानी चाहिए।
वर्तमान भाजपा सरकार को विगत कई वर्षों से महार समुदाय के जाति प्रमाण पत्र की समस्या के समाधान को राजनीति से मुक्त कर सामाजिक न्याय के रूप में त्वरित समाधान करना चाहिए।
शासन को जाति प्रमाण पत्र के लिए प्रचलित 2013 के नियमों में आवश्यक संशोधन कर जाति प्रमाण पत्र के लिए 1950 के पूर्व निवास के दस्तावेजों की मांग को खत्म करना चाहिए।
उत्तराखंड की तरह राज्य निर्माण के पूर्व 15 या 20 वर्षों से निरंतर व स्थाई निवास करने वाले व्यक्ति को जाति प्रमाण पत्र का लाभ दिया जाना चाहिए। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण की तिथि 1 नवंबर 2000 को और इस से पूर्व 15 या 20 वर्षों से वर्तमान छत्तीसगढ़ की भौगालिक सीमा में निवासरत व्यक्ति का जाति प्रमाण पत्र जारी कर आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए।
राज्य का कर्तव्य होता है कि वह अपने राज्य के निवासियों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करेगा।
जिस सुशासन का दावा कर भाजपा ने
भारी बहुमत से छत्तीसगढ़ में अपनी नई सरकार बनाई हैं।
इसी सुशासन से उम्मीद है कि वह अवश्य ही अनुसूचित जाति वर्ग के महार समुदाय के जाति प्रमाण पत्र की समस्या का स्थाई समाधान करेगी।
जाति प्रमाण पत्र संघर्ष मोर्चे, राजनांदगांव के पदाधिकारियों में संतोष बोरकर,निलेश ठावरे,राजू बरमाटे एवं पीयूष उके ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर नई सरकार को बधाई देते हुए, शासन से यह अपील की है कि अनुसूचित जाति वर्ग के महार समुदाय के जाति प्रमाण पत्र की समस्या का समाधान शीघ्र ही किया जाए। यह विज्ञप्ति जाति प्रमाण पत्र संघर्ष मोर्चे के संतोष बोरकर द्वारा जारी की गई है।