जिले में अभी कोविड-19पॉज़िटिव केस आठ
राजनांदगांव (पहुना)। कोविड-19 के पॉज़िटिव्ह केस वाले 8 मरीज अभी भी जिले में उपचार रत होने की आधिकारिक जानकारी है। दूसरा यह कि इस जिले की सीमा से जुड़े महाराष्ट्र में ओमिक्रॉन सहित कोविड-19 के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। इन बातों के मद्देनज़र जिले में कोरोना के नये रूपों से बचाव के लिये कोई ठोस तैयारी नहीं दिखाई दे रही है। बहुत लोगों में भी यह धारणा बन गई है कि वैक्सीन के दो-दो डोज़ लग गये हैं और ओमिक्रॉन डेल्टा वेरिएंट से कमजोर है अतः ओमिक्रॉन से मौत तो होनी नहीं है। यह गलत धारणा है और इस धारणा को दिलो दिमाग से हटाकर भय मिश्रित सावधानी आवश्यक है।
इसके लिए पुलिस, नागरिक प्रशासन व नागरिक संगठनों को कोरोना के पहले व दूसरे चरण जैसी जागरूकता लानी होगी। पहले जैसी आदत नियमित मास्क वियरिंग, हैंडवाश और सेनेटाइजिंग पर ध्यान देना ही होगा। आवश्यक हुआ तो पूर्ववत पाबंदियां भी अविलंब लगाने की तैयारी हो।
जीनोम सिक्वेंसिंग के स्थानीय स्तर पर प्रंधन नहीं
मेडिकल कॉलेज हास्पीटल के प्रबंधक अविन चौधरी ने बताया कि ओमिक्रॉन को लेकर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जीनोम सिक्वेंसिंग की व्यवस्था नहीं है। मेडिकल कॉलेज हास्पीटल रायपुर तय करता है कि जीनोम सिक्वेंसिंग कहां कराना है। वैसे छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर में इसकी व्यवस्था है। श्री चौधरी ने बताया कि मेडिकल कॉलेज हास्पीटल में कोविड-19 वार्ड में नार्मल व्यवस्था है। इधर जिला टीकाकरण अधिकारी श्री तुलावी ने बताया कि जिले में कोविड-19 के 8 केस हैं और लगभग सभी मेडिकल कॉलेज हास्पीटल पेंड्री में है। देश में ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों को देखते हुए रेलवे स्टेशन डोंगरगढ़ में और जिले की महाराष्ट्र से लगी सीमा में कोविड-19 जांच के प्रबंध किये गये हैं। पेंड्री स्थित हस्पीटल में कल 4 पॉज़िटिव्ह केस और मिले हैं। 15 से 18 आयु वर्ग के 97069 टीन एजर्स को 1 जनवरी से कोवैक्सीन के टीके लगने हैं। 60 प्लस 16045 लोगों को 10 जनवरी को कोरोना के बूस्टर डोज़ लगने हैं। फ्रंट लाइन वर्कर्स, बीपी शुगर सहित ज्यादा कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वालों को भी 10 जनवरी से बूस्टर डोज़ लगाये जाएंगे। इस कार्य के लिये स्टेट वीसी हो चुकी है और कल जिला बैठक में निर्णय हुआ। विदेश से आने वालों के टेस्ट पॉज़िटिव्ह आते हैं तो जीनोम सिक्वेसिंग के लिये बाहर भेजे जायेंगे।