नई दिल्ली .पूरा देश आज 75वें गणतंत्र दिवस का जश्न मना रहा है. साल 2024 का गणतंत्र दिवस कई मायनों में अलग है. इस बार कर्तव्य पथ पर विविधता की झांकी के साथ-साथ देश के शौर्य की झलक भी देखने को मिलेगी. इस साल गणतंत्र दिवस समारोह में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए हैं.
राष्ट्रगान के बाद भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता, एकता एवं प्रगति, बढ़ती स्वदेशी क्षमताओं और देश में बढ़ती नारी शक्ति को प्रदर्शित किए जाने की शुरुआत हुई. भव्य परेड में दुनिया ने देश की सैन्य और सांस्कृतिक को देखा. फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में कर्तव्य पथ पर इस भव्य कार्यक्रम का गवाह बने.
इसके साथ ही वह विश्व के उन चुनिंदा नेताओं की सूची में शुमार हो गए जिन्होंने पिछले सात दशकों में देश के सबसे बड़े समारोह की शोभा बढ़ाई है. यह छठा मौका था जब कोई फ्रांसीसी नेता गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि बना है. स्वदेशी बंदूक प्रणाली 105-एमएम इंडियन फील्ड गन के साथ 21 तोपों की सलामी दी गई. फिर 105 हेलीकॉप्टर यूनिट के चार एमआई-17 IV हेलीकॉप्टर ने कर्तव्य पथ पर उपस्थित दर्शकों पर फूलों की वर्षा की.
पहली बार दिल्ली पुलिस की परेड में सिर्फ महिलाएं दिखीं
पहली बार गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली पुलिस की ओर से परेड में सिर्फ महिला पुलिसकर्मी शामिल हुईं. मार्चिंग दस्ते में कुल 194 महिला हेड कॉन्स्टेबल और महिला कॉन्स्टेबल ने हिस्सा लिया. इनका नेतृत्व IPS ऑफिसर श्वेता के सुगथन कर रही थीं.
अग्निवीरों और तीनों सेनाओं की महिला अधिकारियों की टुकड़ी ने कर्तव्य पथ पर मार्च किया. यह पहली बार है कि तीनों सेनाओं की महिला सैनिकों की टुकड़ी कर्तव्य पथ पर मार्च कर रही है.
कर्तव्य पथ पर भारतीय नौसेना की झांकी निकाली गई. इसमें नारी शक्ति और आत्मनिर्भरता के विषयों पर प्रकाश डाला गया. इसमें विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत और नौसेना के जहाज दिल्ली, कोलकाता और शिवालिक और कलावरी क्लास पनडुब्बी को भी दिखाया गया है.
कर्तव्य पथ पर आज ‘आवाहन’ समूह आकर्षण का केंद्र रहा जिसमें 100 से अधिक महिला कलाकार विभिन्न प्रकार के ताल वाद्ययंत्र बजाते हुए शामिल हुईं. पहली बार परेड में शामिल इस संगीत यात्रा में देश के विभिन्न हिस्सों के भारतीय वाद्ययंत्रों की ध्वनियां गुंजायमान हो रही थीं. इस बैंड में 112 महिलाएं शामिल रहीं जिन्होंने लोक और आदिवासी वाद्ययंत्रों की प्रस्तुति दी. इनमें 20 कलाकारों ने महाराष्ट्र के ढोल ताशों की थाप प्रस्तुत की तो 16 कलाकारों ने तेलंगाना के परंपरागत दप्पू वाद्य यंत्र से स्वर लहरियां बिखेरीं. इनमें पश्चिम बंगाल के ढाक-ढोल की ध्वनियां, शंखनाद, केरल के परंपरागत ढोल की थाप भी सुनाई दी.