नियमित जमानत से पहले आम आदमी पार्टी (AAP) नेता मनीष सिसोदिया को मिली बहुत बड़ी राहत मिली है. दिल्ली शराब नीति मामले में आरोपी मनीष सिसोदिया को पत्नी से मिलने की इजाजत मिल गई है. राउज ऐवन्यू कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को हफ्ते में एक दिन पुलिस हिरसत में पत्नी से मुलाक़ात करने की इजाजत दी है. राउज ऐवन्यू कोर्ट मनीष सिसोदिया की नियामित जमानत पर 12 फरवरी को सुनवाई करेगा. आप नेता मनीष सिसोदिया ने अपनी बीमार पत्नी से पुलिस हिरसत में हफ्ते में दो दिन मुलाकात करने की इजाजत मांगी थी.
वहीं जेल में बंद आप नेता मनीष सिसोदिया ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अपनी दो क्यूरेटिव याचिकाओं पर शीघ्र सुनवाई की मांग की, जिसमें अदालत के 2023 के फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें कथित दिल्ली शराब घोटाले से संबंधित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया गया था. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ को सिसोदिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने बताया कि वह एक साल से जेल में बंद हैं और क्यूरेटिव याचिकाओं को तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग की थी.
मैं पहले ही याचिकाओं को सूचीबद्ध करने का निर्देश दे चुका हूं; सीजेआई
सीजेआई ने कहा कि मैं पहले ही याचिकाओं को सूचीबद्ध करने का निर्देश दे चुका हूं. 14 दिसंबर, 2023 को शीर्ष अदालत ने कथित दिल्ली शराब घोटाले से संबंधित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में उनकी जमानत याचिकाओं को खारिज करने के 30 अक्टूबर के फैसले की समीक्षा की मांग करने वाली सिसोदिया की याचिका खारिज कर दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया था कि जांच एजेंसियों के आरोप कि कुछ थोक वितरकों द्वारा 338 करोड़ रुपये का ‘अप्रत्याशित लाभ’ साक्ष्य द्वारा ‘अस्थायी रूप से समर्थित’ था. सिसोदिया को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 26 फरवरी, 2023 को ‘घोटाले’ में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया था. ईडी ने तिहाड़ जेल में पूछताछ के बाद 9 मार्च, 2023 को सीबीआई की एफआईआर से जुड़े मनी-लॉन्ड्रिंग मामले में सिसोदिया को गिरफ्तार किया. 28 फरवरी 2023 को सिसोदिया ने दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया.
क्या है पूरा आरोप
दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को नई आबकारी नीति लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे रद्द कर दिया. जांच एजेंसियों के मुताबिक, नई नीति के तहत थोक विक्रेताओं का मुनाफा मार्जिन 5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया है. एजेंसियों ने आरोप लगाया है कि नई नीति के परिणामस्वरूप गुटबंदी हुई और शराब लाइसेंस के लिए अयोग्य लोगों को मौद्रिक लाभ दिया गया. हालांकि, दिल्ली सरकार और सिसोदिया ने किसी भी गलत काम से इनकार किया है और कहा है कि नई नीति से शहर सरकार के राजस्व में वृद्धि होगी.