नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव की तारीख करीब आते-आते मोदी सरकार के तेवर आक्रामक होते जा रहे हैं. इस कड़ी में लोकसभा के बजट सत्र के अंतिम दिन मोदी सरकार ‘श्वेत पत्र’ के जरिए पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के कार्यकाल का कच्चा चिट्ठा खोलने की तैयारी में है. इस बात की भनक लगते ही कांग्रेस भी श्वेत पत्र के जवाब में ‘ब्लैक पेपर’ 10 साल अन्याय काल के जरिए मोदी सरकार के कार्यकाल की खामियों को गिनाने की तैयारी में है.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस के अन्य नेताओं के साथ गुरुवार को ’10 साल अन्याय काल’ के नाम से ‘ब्लैक पेपर’ का पोस्टर जारी किया. इस दौरान खड़गे ने कहा कि मोदी जब भी अपनी बात को संसद में रखते हैं, तो अपनी कामयाबी को सुनाते हैं, और असफलताओं को छिपाते हैं. और जब हम खामियों को बताते हैं तो उसके उतना महत्व नहीं दिया जाता है. इस पर हमने सोचा कि मोदी सरकार के खिलाफ ब्लैक पेपर निकालकर लोगों को जानकारी देंगे.
ब्लैक पेपर की मुख्य बिंदुओं की जानकारी देते हुए कहा कि आज सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी है, जिसकी बात मोदी सरकार नहीं करती है. मोदी ने संसद में चर्चा के दौरान सार्वजनिक क्षेत्रों का जिक्र किया, लेकिन उन्होंने नहीं बताया कि कितने लोगों को रोजगार मिला. इसके साथ गांव में भी बेरोजगारी बढ़ रही है, क्योंकि नरेगा का पैसा नहीं मिल रहा है. इसके साथ गैर-भाजपा शासित राज्यों के साथ अन्याय हो रहा है. अपेक्षा हो रही है, क्योंकि वे पैसा नहीं दे रहे हैं.
इस पर सरकार का तर्क होता है कि पैसा दे रहे हैं, लेकिन खर्च नहीं हो रहा है. ऐसा नहीं होता है, जब पैसा दोगे, तब खर्च होगा. इसके अलावा महंगाई भी बड़ी समस्या है. मोदी नेहरू और इंदिरा गांधी का उदाहरण देते हैं, जबकि यह है कि आज आपने क्या किया. आज आपने महंगाई पर काबू करना था, लेकिन आपने नहीं किया.
आवश्यक वस्तुओं की कीमत पर नियंत्रण के लिए कानून है, लेकिन उनके चंद दोस्त हैं, वे यहां महंगाई हो गई तो वे बाहर से आयात करते हैं. वे समुंद्र में जहाज रखते हैं, और जब यहां महंगाई बढ़ती है तो वे जहाज को भारत में लाते हैं. इस तरह से अपने दोस्तों को फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं. तीसरा मुद्दा किसान का है. किसान सालभर तक तीन काले कानूनों के खिलाफ धरने पर बैठे, लेकिन उन्होंने कभी उनकी चिंता नहीं की.
क्या होगा श्वेत पत्र में
वहीं भाजपा के श्वेत पत्र की बात करें तो संसद के मौजूदा बजट सत्र को एक दिन बढ़ाकर 10 फरवरी तक किया जा रहा है. यह जानकारी संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने दी. दरअसल, सरकार 2014 से पहले और बाद में भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति की तुलना करते हुए एक ‘श्वेत पत्र’ पेश करने की योजना बना रही है. मोदी सरकार इस ‘श्वेत पत्र’ के जरिए अपने और यूपीए सरकार के दौरान देश की आर्थिक स्थिति का तुलनात्मक अध्ययन पेश कर सकती है.