रायपुर। मसीहीजनों का 40 दिनी उपवास काल बुधवार से प्रारंभ हो रहा है। एेश वेडनेस-डे यानी भस्म बुधवार को संध्या गिरजाघरों में विशेष आराधना के साथ इसकी शुरूआत होगी। चालीस दिनों तक मसीही समाज में विवाह, समारोह, स्वागत समारोहों, उत्सव जैसे जन्मदिन, शादी की सालगिरह जैसे खुशी के आयोजन प्रतिबंधित रहेंगे।
सीएनआई के मॉडरेटर द मोस्ट रेवरेंड बी.के. नायक, कैथोलिक डायसिस के आर्च बिशप विक्टर हैनरी ठाकुर, छत्तीसगढ़ डायसिस के बिशप द राइट रेवरेंड एसके नंदा, कोलकाता इंडियन आर्थो़ाक्स चर्च के मेट्रोपॉलिटन एलेक्सियस मॉर ईयूसेबियस, मॉरथोमा चर्च के विकार रेवरेंड सेंजो पी. वर्गीस, मेनोनाइट के मॉडरेटर बिशप एन. आशावान, फॉदर थॉमस जेकब भिलाई, बिलिवर्स चर्च इन इंडिया के रेवरेंड फादर संदीप लाल, छत्तीसगढ़ डायसिस के सचिव नितिन लॉरेंस, आर्च डायसिस ऑफ रायपुर के विकार जनरल फादर सेबेस्टियन पी., छत्तीसगढ़ क्रिश्चयन फैलोशिप के अध्यक्ष पादरी राकेश प्रकाश, जीजस कॉल्स के डॉ. आशीष चौरसिया, यूनाइटेड पास्टर्स फैलोशिप के पादरी राकेश गार्डिया, प्रदेश के मसीही संगठनों व संस्था प्रमुखों ने भी पवित्रकाल के लिए लोगों को अात्मिक उन्नति की शुभकामनाएं दी हैं। प्रभु की नजदीकी में बढ़ने की कामना की है। इस मौके पर प्रतिदिन संध्या घर-घर प्रार्थनाएं होंगी। घरेलू प्रार्थना सभाएं 23 मार्च तक होंगी। 24 मार्च को खजूर रविवार पर जुलूस निकलेगा। 25 से 31 मार्च तक दुख भोग सप्ताह मनाया जाएगा। इस मौके पर गिरजाघरों में प्रतिदिन संध्या आराधना होंगी।
उपवासकाल पश्चाताप का समय – बिशप नंदा
उपवासकाल को लेकर छत्तीसगढ़ डायसिस के बिशप नंदा ने प्रार्थना योद्धाओं को आशीर्वाद देकर अभिषेक किया। उन्होंने कहा कि उपवास से आत्मा का नवीनीकरण होता है। चालीस दिन के इस पवित्र सफर में जीवन को नई आत्मिक दिशा मिलती है। इसलिए आपका उपवास दिखावे के लिए न हो। ढोंग या औपचारिकता के लिए किए जा रहे व्रत से ईश्वर को प्रसन्न नहीं होता। नहीं। उपवास काल को संयमकाल भी कहते हैं। संयमकाल में मृत्यु जैसी वेदना का अहसास होना चाहिए। प्रभु यीशु ने मानव जाति के गुनाहों के लिए अपना बलिदान देने क्रूस की मौत सही जो बेहद कष्टदायी व घृणित मानी जाती थी। इसलिए प्रभु का बलिदान व्यर्थ न जाए। इस उपवासकाल में आपका जीवन बदल जाना चाहिए। संयमकाल के अंतिम पड़ाव यानी गुड फ्राइडे तक लोगों को आपके व्यवहार व जीवन में नयापन नजर आना चाहिए। प्रभु यीशु के मृत्युंजय होने के विजय पर्व ईस्टर पर यह लगना चाहिए कि आपका पुराना मनुष्यत्व बदल गया। आपने पापों, गंदगी आदतों, बुरे कामों को त्याग दिया है।
पडोसी के दुख-सुख में हों शामिल –
आर्च बिशप विक्टर हैनरी ठाकुर ने कहा कि ईश्वर से दूर हो चुके लोगों के लिए समय है कि वे अपने जीवन को प्रभु के नजदीक लाएं। इसके साथ ही अपने पड़ोसी से प्रेम करें। उनके दुख-सुख में शामिल होवें। यदि हम ईश्वर को पिता मानते हैं तो दूसरों को अपना भाई-बहन समझना हमारा कर्तव्य व धर्म है। जिनके पास भोजन नहीं है उन्हें उपलब्ध कराएं। जो इंसानों से प्रेम नहीं करता व ईश्वर का बेटा या बेटी नहीं। ईश्वर इस पवित्रकाल में आपको प्रेम से बुला रहे हैं कि उपवास और परहेज से अपना जीवन अनुशासित व संयमी बना लें, ताकि आप अनंत जीवन का मुकुट पा सकें। जीवन में कुछ पाने के लिए त्याग तो करना ही पड़ता है। इसलिए अपने में सांसारिक नहीं अपितु आत्मिक भूख जगाएं। ये आपके आत्म अवलोकन करने का वक्त है। दुनिया में आकर हम अपने जीवन का मकसद भूल जाते हैं और रोजी-रोटी में व्यस्त हो जाते हैं। जबकि मसीही जीवन की प्राथमिकता अनंत जीवन होनी चाहिए।
हमारे विश्वास का केंद्र ही प्रभु यीशु ख्रीस्त का पुनरूत्थान है। इसी से हमारी आशा शुरू होती है जो अनंत जीवन की है। इसके लिए उपवासकाल तैयारी करने का मौका देता है। इसलिए आत्मिक प्राथमिकता का अवसर न गवाएं।
प्रमुख दिन –
– 14 फरवरी – भस्म बुधवार
– 24 मार्च – पाम संडे (खजूर रविवार)
– 28 मार्च – मॉन्डी थर्स-डे (पुण्य गुरुवार)
– 29 मार्च – गुड फ्राइडे (शुभ शुक्रवार)
– 30 मार्च – ब्लैक सेटेर-डे (मौन दिवस)
31 मार्च – ईस्टर (पुनरूत्थान पर्व)