नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में टीएमसी दफ्तर के अंदर महिलाओं के साथ हुई शर्मनाक घटनाओं को लेकर बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने संदेशखाली को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट में आयोग ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने, संदेशखाली पुलिस स्टेशन में तैनात पुलिस कर्मियों को बदलने, खुफिया जानकारी एकत्र करने वाले तंत्र को मजबूत करने समेत कई सिफारिशें की हैं। उधर, संदेशखाली प्रकरण पर गिरफ्तार मुख्य आरोपी और टीएमसी नेता शाहजहां शेख पर भी बंगाल सरकार मुश्किल में है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक बार फिर शेख को सीबीआई सौंपने के लिए बंगाल सरकार को नया आदेश जारी किया है।
इससे पहले एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने मंगलवार को राष्ट्रपति मुर्मू से मुलाकात की और पिछले महीने संदेशखाली क्षेत्र में आयोग की टीम की प्रतिक्रिया के आधार पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। राष्ट्रपति को सौंपी रिपोर्ट में आयोग ने पश्चिम बंगाल के बशीरहाट जिले में, विशेषकर टीएमसी पार्टी कार्यालय के परिसर में महिलाओं के खिलाफ की गई हिंसा और जघन्य कृत्यों का विवरण दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि शाहजहां शेख और उनके सहयोगियों पर महिलाओं को गैरकानूनी तरीके से कैद करने, उनके साथ बलात्कार, छेड़छाड़ और शारीरिक शोषण करने का आरोप है।
एनसीडब्ल्यू ने आरोप लगाया, “शाहजहां शेख के आपराधिक रिकॉर्ड और उनके खिलाफ कई शिकायतों के बावजूद, आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।” बता दें कि शाहजहां को राज्य पुलिस ने 29 फरवरी को गिरफ्तार कर लिया था और जिसके बाद टीएमसी ने उन्हें छह साल की अवधि के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया है। एनसीडब्ल्यू की रिपोर्ट में कहा गया है कि संदेशखाली में हुई घटनाओं की जांच के लिए आयोग द्वारा रेखा शर्मा की अध्यक्षता में एक जांच समिति (आईसी) की स्थापना की गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है, “संदेशखाली का दौरा करने पर जांच समिति को इलाके की महिलाओं के शारीरिक और यौन शोषण, भूमि संबंधी आरोपों और पीड़ित परिवार के पुरुष सदस्यों की गलत गिरफ्तारी की कई शिकायतें मिलीं।”
अपनी रिपोर्ट में, एनसीडब्ल्यू ने कई सिफारिशें प्रस्तावित कीं, जिनमें पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाना, हिंसा की जांच के लिए एक केंद्रीय या न्यायिक निकाय की नियुक्ति, संदेशखाली में पुलिस कर्मियों को बदलना शामिल है। इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट में हिंसा के मूल कारणों के मद्देजनर ग्रामीणों के लिए सामाजिक-आर्थिक योजनाओं को लागू करने, सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रमों और पीड़ित सहायता सेवाओं को बढ़ाने का सुझाव दिया गया है।