देहरादून. उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में जंगल सफारी पर सख्त रुख अपनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जिम कॉर्बेट वन रिजर्व के मुख्य क्षेत्रों में बाघ सफारी पर बैन लगा दिया. कोर्ट ने टाइगर रिजर्व में पेड़ों की अभूतपूर्व कटाई और पर्यावरणीय क्षति पर भी राज्य सरकार की खिंचाई की. अदालत ने कॉर्बेट में अवैध निर्माण, पेड़ों की कटाई पर 3 महीने के भीतर स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी है.
अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट है कि राष्ट्रीय वन्यजीव संरक्षण योजना संरक्षित इलाकों से परे वन्यजीव संरक्षण की जरूरत को पहचानती है. जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस पीके मिश्रा और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच पर्यावरण कार्यकर्ता और वकील गौरव बंसल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
बंसल ने राष्ट्रीय उद्यान के अंदर बाघ सफारी और पिंजरे में बंद जानवरों वाले चिड़ियाघर के उत्तराखंड सरकार के प्रस्ताव को चुनौती दी थी. सुको ने सुनवाई के दौरान महाभारत के एक उदाहरण का हवाला देते हुए कहा कि जंगल बाघ की रक्षा करता है और बाघ जंगल की रक्षा करता है. सुको के आदेश के मुताबिक अब केवल पार्क के परिधीय और बफर जोन में ही बाघ सफारी की अनुमति दी जाएगी. उत्तराखंड सरकार ने पहले कुछ वीवीआईपी के लिए मुख्य क्षेत्रों में सफारी की अनुमति दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने नेताओं और नौकरशाहों के गठजोड़ पर कड़ी टिप्पणी की है और कहा है कि इससे जंगलों को भारी नुकसान हुआ है.