रायपुर। छत्तीसगढ़ के कथित शराब नीति घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई के दौरान तल्ख टिप्पणी की है और कहा है कि अब तक के उपलब्ध साक्ष्यों से ना तो अपराध होने की पुष्टि हो पा रही है और ना ही आरोपी द्वारा उस कथित अपराध से आय की पुष्टि हो पा रही है तो क्यों नहीं मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप रद्द कर दिए जाएं? यह ठीक वैसा ही मामला है, जैसे कुछ दिनों पहले दिल्ली के कथित शराब घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी और छह महीने से जेल में बंद आप सांसद संजय सिंह को जमानत दे दी थी।
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने आईएएस अधिकारी अतुल टुटेजा और उनके बेटे यश टुटेजा सहित मामले के छह आरोपियों द्वारा दायर रिट याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। इस मामले में भी प्रवर्तन निदेशालय (ED) की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू मामले की पैरवी कर रहे थे। जस्टिस ओका ने कहा, “मामले में अगर कोई निरपेक्ष अपराध नहीं हुआ है, तो अपराध से कोई आय भी नहीं हुई है। इसलिए इसमें मनी लॉन्ड्रिंग नहीं हो सकती है।”
इसके साथ ही जस्टिस ओका ने कथित शराब घोटाले के कुछ आरोपियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप रद्द करने की इच्छा जताई। इससे पहले कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ लगाए गए आयकर अधिनियम के कथित उल्लंघन से जुड़े कार्यवाही पर भी रोक लगा दी थी। याचिकाकर्ताओं ने ईडी के उस तर्क का विरोध किया था कि धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत कोई भी अपराध आयकर अधिनियम का कथित उल्लंघन है।
आज जैसे ही कोर्ट ने सुनवाई शुरू की। वैसे ही जस्टिस ओका ने शुरुआत में ही टिप्पणी की कि ईडी की इस शिकायत पर विचार नहीं किया जा सकता क्योंकि कोई अपराध नहीं किया गया है। इस पर, ASG राजू ने जवाब दिया कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ एक नया विधेय अपराध (predicate offence) दर्ज किया गया है, जिसके आधार पर ईडी द्वारा एक अलग ECIR (प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट) दायर की जानी है। इस पर जस्टिस ओका ने एएसजी से फिर पूछा, “क्या आपने ऐसा किया है?” एएसजी ने जवाब दिया कि बाद के विधेय अपराध पर रोक के कारण, नई शिकायत दर्ज नहीं हो सकी है। बता दें कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की पूर्ववर्ती भूपेश बघेल सरकार के दौरान आबकारी नीति में संशोधन कर अधिकारियों पर शराब आपूर्तिकर्ताओं से मिलीभगत कर 2161 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार करने के आरोप हैं। इस मामले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय ने दावा किया था कि कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने निजी और प्रभावशाली व्यक्तियों के साथ मिलकर राज्य सरकार को नुकसान पहुंचाने और शराब के कारोबार में अवैध लाभ कमाने के लिए आपराधिक कृत्य किए हैं।
ईडी ने कहा था कि उसकी जांच से पता चला है कि छत्तीसगढ़ में एक आपराधिक गिरोह काम कर रहा था।पिछले वर्ष जुलाई में ईडी ने रायपुर की एक पीएमएलए अदालत में कथित शराब घोटाला मामले में अभियोजन शिकायत (चार्जशीट) दायर किया था जिसमें उसने दावा किया था कि 2019 में शुरू हुए ‘शराब घोटाले’ में 2161 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार हुआ है। प्रवर्तन निदेशालय के एक पत्र के आधार पर कथित शराब घोटाले में एसीबी/ईओडब्ल्यू ने जनवरी 2024 में कई अधिकारियों और कांग्रेस के कई नेताओं समेत 70 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।