आतिशी ने बताया कि “पिछले साल दिल्ली के लोगों ने 35 हजार करोड़ रुपये का टैक्स दिया था. इस टैक्स को दिल्ली सरकार ने स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, पानी की सेवाओं को बेहतर बनाने में खर्च किया था. दिल्ली के लोगों ने केंद्र सरकार को भी 2.70 लाख करोड़ रुपये का टैक्स दिया है. इसके अलावा GST के रूप में भी जो टैक्स दिया जाता है, वह भी केंद्र सरकार को जाता है.”
आतिशी ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि “जो पैसा केंद्र को गया है, उसमें से कितना पैसा दिल्ली को मिला? सच तो यह है कि दिल्ली को इस पैसे में से कुछ भी नहीं मिला. दिल्ली के बजट में एक रुपया भी नहीं दिया गया. दिल्ली के लोगों के साथ यह सौतेला व्यवहार क्यों? दिल्ली वालों को उनका हक मिलना चाहिए. हम पूरा पैसा नहीं मांग रहे हैं, लेकिन इसका कुछ हिस्सा दिल्ली को मिलना चाहिए, ताकि दिल्ली का विकास हो सके और लोगों को सुविधाएं मिल सकें.”
आतिशी ने बताया कि “2001 से दिल्ली को बजट में 325 करोड़ रुपये मिलते आ रहे हैं, लेकिन इतने सालों में एक रुपया भी नहीं बढ़ाया गया. पिछले साल से तो इसमें से भी एक रुपया दिल्ली को नहीं मिला है. हमें दिल्ली के टैक्स का 5% भी मिल जाए तो वह काफी है.”
आतिशी ने आगे कहा कि “जैसा दिल्ली के साथ हो रहा है, वैसा दुनिया में कहीं और होता होगा? क्या अमेरिका की सरकार न्यू यार्क से पैसा लेती होगी और बदले में एक पैसा भी नहीं देती होगी? जापान की सरकार टोक्यो और ब्रिटेन की सरकार लंदन के साथ ऐसा करती होगी? मुझे नहीं लगता कि ऐसा होता होगा. आज केंद्र सरकार भी दिल्ली के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है. वह दिल्ली वालों से पैसा ले रही है, लेकिन उन पर एक पैसा भी खर्च नहीं कर रही है.”