हर साल की तरह इस बार भी गणतंत्र दिवस का समापन समारोह बीटिंग रिट्रीट का धूमधाम से समापन हुआ. इस दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद पूरी शानो-शौकत के साथ समारोह स्थल की ओर पहुंचे, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका स्वागत किया.
समारोह में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षामंत्री और तीनों सेनाओं के प्रमुखों सहित कई गणमान्य अतिथि मौजूद रहे. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के रवाना होने से पहले उनके अंगरक्षकों ने उन्हें सलामी दी. 46 अंगरक्षकों के साथ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शान-ओ-शौकत के साथ बीटिंग द रिट्रीट समारोह के लिए पहुंचे. आज वो खास दिन है जब तीनों सेनाएं बैरकों में लौट जाएंगी.
इस दौरान सेनाओं की कुल 26 धुनें सुनाई दीं. केरल की हिंद सेना धुन भी इसमें शामिल है. ये कार्यक्रम सेना की बैरक वापसी का प्रतीक है. कैंप में संगीतमय समारोह का इस दौरान आयोजन होता है.
कदम कदम बढ़ाए जा: कैप्टन राम सिंह ऐर मेजर एच बी ब्राल ने धुन तैयार की थी. नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज का रेजीमेंटल सॉन्ग ये था.
ऐ मेरे वतन के लोगों: 1962 के युद्ध के बाद सी रामचंद्र ने धुन तैयार की थी और कवि प्रदीप ने इसे लिखा था. पूर्वी लद्दाख के रेजांगला लड़ाई की याद में लिखा था. लता मंगेशकर ने जब एक कार्यक्रम में गाया था तो नेहरू जी की आंखे छलक आई थीं.
सारे जहां से अच्छा– इकबाल ने इसे आजादी से पहले लिखा था. कार्यक्रम में ये धुन भी बजाई जाएगी.
बीटिंग रिट्रीट समारोह प्राचीन काल से चली आ रही उस सैन्य परंपरा का हिस्सा है, जब युद्ध के मैदान में सेनाएं दिन ढलने के बाद सैन्य-धुन पर अपने अपने बैरक में लौट जाती थीं. इस दौरान झंडे को उतार दिया जाता था. इसलिए गणतंत्र दिवस के दौरान जब सशस्त्र सेनाओं की टुकड़ियां, हथियार और दूसरे सैन्य साजो सामान, गणतंत्र दिवस समारोह के बाद बैरक में लौटती हैं. गणतंत्र दिवस के तीन दिन बाद यानी 29 जनवरी को दिन ढलने के समय बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन किया जाता है.