जीवन में सदैव अच्छा आचरण करो,उच्च विचार रखो और बेहतर प्रचार करो : मुनिश्री

रायपुर। विवेकानंद नगर स्थित श्री संभवनाथ जैन मंदिर में आत्मोल्लास चातुर्मास 2024 की प्रवचन माला में रविवार को विशेष प्रवचन हुआ। ओजस्वी प्रवचनकार मुनिश्री तीर्थप्रेम विजयजी म.सा. ने (आचार-विचार-प्रचार )विषय पर प्रवचन दिया। मुनिश्री ने इसकी व्याख्या करते हुए कहा कि हमें जीवन में सदैव अच्छा आचरण करना चाहिए। इसके साथ ही अच्छे विचार होने चाहिए एवं अच्छे प्रचारक बनाना चाहिए। जैसा आचरण आपका अपने धर्म के प्रति है, वैसा ही आचरण लोगों के प्रति होना चाहिए। धर्म क्रियाओं, अनुष्ठानों में आपके विचार अच्छे होने चाहिए। धर्म का बेहतर प्रचार करना चाहिए,ताकि सभी उसे ग्रहण कर सके।
मुनिश्री ने कहा कि आचार के चुस्त और विचारों के दृढ़ बानो,अच्छा प्रचार करो, तभी आने वाली पीढ़ी को जिन शासन का पता चलेगा और वे भी अपने धर्म से जुड़े रहेंगे। जो अपने धर्म का नहीं हुआ वह दूसरे का नहीं हो सकता। आप आचार का पालन नहीं करेंगे तो अपनी पीढ़ी में क्या संस्कार डालेंगे। आचार,विचार और प्रचार के माध्यम से अपने आप को ऊपर लाओ, जैन शासन को ऊपर लाओ। जैन शासन को अगर ऊपर लाना है तो बड़े-बड़े पच्चखाण नहीं होते तो छोटे-छोटे पच्चखाण से ही साधना प्रारंभ करो। जैसा आप करेंगे वैसा ही आपकी आने वाली पीढी भी सीखकर करेगी। मुनिश्री ने कहा कि हमेशा धर्म के प्रति अच्छे विचार रखो। विचार के द्वारा जैन शासन को आगे बढ़ाओ। आज विचार में भी काफी गिरावट आई है। विचार से भी हम खत्म हो रहे हैं। अपनी क्रियाओं,अनुष्ठानों को लेकर हम सवाल उठते हैं। आज विचार ऐसे हो गए हैं कि धर्म के लिए क्यों इतना खर्च करना। जैसे आप अपने महंगे शौक को पूरा करने के लिए करोड़ों खर्च कर देते हो वैसे ही जिन शासन के लिए करने के लिए विचार आने चाहिए।
एक लोटा दूध से कभी आपत्ति नहीं करें कि इसे धर्म,अनुष्ठानों के पीछे व्यर्थ क्यों किया जाए। वैचारिक अधोपतन शासन को खत्म कर देगा। मुनिश्री ने कहा कि सदैव अच्छा प्रचार करो। हमेशा धर्म की बातों को और लोगों तक पहुंचाओ जैसे आप अच्छा प्रोडक्ट बनाते हैं इसका बेहतर विज्ञापन करते हैं लोगों तक पहुंचाते हैं वैसे ही आप जो धर्म में सीखते हैं उसे सीमित करने की बजाय लोगों तक पहुंचाओ धार्मिक क्रियो अनुष्ठानों की जानकारी अपने घर के छोटे बच्चों को दो कभी आने वाली पीढ़ी बेहतर सीख सकेगी।

*जैन शासन का हमारे ऊपर श्रेष्ठ उपकार है*

मुनिश्री ने कहा कि इस धरती पर जिस दिन से हमारा जन्म हुआ है हमने उपकार बहुत लिए। जन्म देकर माता-पिता ने,संस्कार देकर दादा दादी ने,स्नेह देकर स्वजनों ने हम पर उपकार किया है और ज्ञान देकर गुरुजनों ने और ना जाने कितने उपकार हम लेते हैं। इन सारे उपकारों के श्रृंखला में सबसे बड़ा उपकार हम पर जैन शासन का है। जैन शासन का उपकार है कि आपका जन्म शासन में जन्म हुआ है। जैन शासन में जन्म लेते ही नमस्कार महामंत्र आपको प्राप्त हुआ है। जैन शासन ने आपको संस्कार दिया,तीर्थ दिया,करोड़ो अरबों की संपत्ति जन्म लेते ही प्राप्त हुई। हमारे जीवन में परम उपकार परमात्मा के संस्कार शासन का होता है। सज्जन व्यक्ति वह होते हैं जो अपनी स्थिति ठीक होने पर उपकार चुकाते हैं। आज समय है आपके पास उपकार को चुकाने का। आप प्रयास करें कि कैसे उपकार को चुकाया जाए।

 

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