Nag Panchami 2024: आज सम्पूर्ण भारत में नागपंचमी का पर्व बड़े धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। यह पर्व हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन नागों की पूजा की जाती है और उन्हें दूध अर्पित किया जाता है। नागपंचमी का इतिहास बहुत पुराना है और इसके साथ कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक महत्व के कारण भी महत्वपूर्ण है।
नागपंचमी का पौराणिक इतिहास
नागपंचमी का उत्सव प्राचीन काल से ही मनाया जाता रहा है। इसके पीछे कई पौराणिक कहानियां और मान्यताएं हैं। महाभारत काल से जुड़ी एक प्रमुख कथा के अनुसार, राजा जनमेजय ने अपने पिता राजा परीक्षित की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिए नाग यज्ञ का आयोजन किया था। इस यज्ञ में सभी नागों का विनाश होने लगा, जिससे नागों की जाति पर संकट आ गया। नागराज वासुकी की बहन मनसा देवी ने इस संकट को देखा और जनमेजय से यज्ञ को रोकने की प्रार्थना की। अंततः, जनमेजय ने यज्ञ को रोक दिया और नागों की पूजा के रूप में नागपंचमी का पर्व मनाया जाने लगा।
दूसरी महत्वपूर्ण कथा भगवान शिव से जुड़ी है। भगवान शिव का आभूषण बनने वाले नागों की पूजा के महत्व के कारण यह पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन नागों की पूजा करने से व्यक्ति को विषैले जीवों से रक्षा मिलती है और उसकी संतान की सुरक्षा होती है।
नागपंचमी की पूजा विधि और परंपराएं
नागपंचमी के दिन हिंदू धर्मावलंबी अपने घरों में नाग देवता की मूर्ति या चित्र की पूजा करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में नागों की मिट्टी की मूर्तियां बनाकर उनका पूजन किया जाता है। लोग नागों को दूध, फूल, मिठाई, और धूप अर्पित करते हैं। नाग देवता को प्रसन्न करने के लिए मंत्रों का उच्चारण भी किया जाता है।
कई स्थानों पर नागपंचमी के अवसर पर विशेष धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं। कुछ स्थानों में कुश्ती प्रतियोगिता भी होती है, जिसे स्थानीय भाषा में ‘दंगल’ कहा जाता है। यह परंपरा विशेष रूप से महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में देखी जाती है।
नागपंचमी का पर्यावरणीय और सांस्कृतिक महत्व
नागपंचमी का त्योहार न केवल धार्मिक भावनाओं से जुड़ा हुआ है, बल्कि यह हमारे पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति भी हमारी जिम्मेदारी की याद दिलाता है। नागों की पूजा कर हम यह संदेश देते हैं कि हमें प्रकृति और उसके जीव-जंतुओं का सम्मान करना चाहिए। इस दिन लोग नागों को हानि नहीं पहुंचाने का संकल्प लेते हैं और उन्हें सुरक्षित रखने का प्रयास करते हैं।
नागपंचमी का सांस्कृतिक महत्व भी अत्यधिक है। यह पर्व भारतीय संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक है। नागपंचमी के माध्यम से हम अपनी अगली पीढ़ी को भी अपनी सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ सकते हैं।
समाज के लिए संदेश
नागपंचमी के अवसर पर हम सबको यह संकल्प लेना चाहिए कि हम पर्यावरण की रक्षा करेंगे और प्रकृति के हर जीव का सम्मान करेंगे। नाग देवता की पूजा करके हम इस संदेश को और अधिक प्रबल बना सकते हैं कि हमारी संस्कृति में प्रकृति और उसके जीवों के प्रति हमेशा सम्मान का भाव रहा है।