PM Modi On Creamy layer in SC-ST: एससी-एसटी वर्ग में क्रीमी लेयर (कोटा के अंदर कोटा) सिस्टम केंद्र की मोदी सरकार (Modi government) लागू नहीं करेगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद SC-ST वर्ग के सांसदों ने शुक्रवार (9 अगस्त) पीएम नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) से मुलाकात की। सभी की बात को सुनने के बाद प्रधानमंत्री ने भरोसा दिया कि SC-ST वर्ग में किसी भी कीमत पर मैं क्रीमी लेयर (Creamy layer in SC-ST category) लागू नहीं होने दूंगा। जरूरत पड़ी तो कोर्ट के फैसले के खिलाफ सरकार अध्यादेश लाने से पीछे नहीं हटेगी।
इधर प्रीम कोर्ट के इस फैसले पर लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के चिराग पासवान और रामदास अठावले ने भी विरोध जताया था। चिराग पासवान ने कहा था, ‘उनकी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) इस फैसले के खिलाफ अपील करेगी।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक अगस्त 2024 को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण बारे में ऐतिहासिक फै़सला सुनाते हुए कहा कि सरकार इन समुदायों के आरक्षण सीमा के भीतर अलग से वर्गीकरण (कोटो के अंदर कोटा) कर सकती है।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस बेला त्रिवेदी, जस्टिस पंकज मित्तल, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की सात जजों की बेंच के छह न्यायाधीशों ने एससी-एसटी आरक्षण में उप-वर्गीकरण के पक्ष में फ़ैसला सुनाया था। वहीं एक न्यायाधीश ने इसका विरोध किया था। फ़ैसला सुनाते समय यह सिफ़ारिश भी की गई कि अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षण में क्रीमी लेयर का प्रावधान होना चाहिए और यह अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी वर्ग पर लागू क्रीमी लेयर के प्रावधान से अलग होना चाहिए।
इस फ़ैसले को लेकर कई पहलुओं की तरफ़ लोगों का ध्यान गया है कि क्या अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण में क्रीमी लेयर देने की ज़रूरत है?