संवैधानिक व्यवस्था को ‘कम्युनल’ कहना क्या उचित?
बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट कर सभी धर्मों का एक-समान सम्मान के धर्मनिरपेक्षता के सिद्धान्त की संवैधानिक व्यवस्था को ’कम्युनल’ कहने को लेकर पीएम मोदी पर उठाए सवाल. उन्होंने कहा, ”पीएम द्वारा कल 15 अगस्त को लाल क़िले से बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर द्वारा सभी धर्मों का एक-समान सम्मान के धर्मनिरपेक्षता के सिद्धान्त की संवैधानिक व्यवस्था को ’कम्युनल’ कहना क्या उचित? सरकार संविधान की मंशा के हिसाब से सेक्युलरिज्म का पालन करे यही सच्ची देशभक्ति व राजधर्म.”
अच्छे दिन’ कब आयेंगे?’
बसपा अध्यक्ष ने आगे कहा, ”इतना ही नहीं बल्कि पीएम द्वारा देश की अपार ग़रीबी, बेरोज़गारी, महंगाई व पिछड़ेपन आदि की ज्वलन्त राष्ट्रीय समस्याओं पर इससे प्रभावित करीब सवासौ करोड़ लोगों में उम्मीद की कोई नई किरण नहीं जगा पाना भी कितना सही? लोगों के ’अच्छे दिन’ कब आयेंगे?”
”पीएम का 78वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल क़िले से दिया गया भाषण काफी लम्बा-चौड़ा, किन्तु करोड़ों दलितों व आदिवासियों के आरक्षण आदि के हक की रक्षा के मामले में अत्यन्त निराशाजनक जबकि मा. सुप्रीम कोर्ट के दिनांक 1 अगस्त 2024 के निर्णय के बाद यह अति खास व ज्वलन्त मुद्दा.”
उन्होंने कहा, ”इस बारे में भाजपा सांसदों को दिया आश्वासन भी पीएम को याद नहीं रहा, जबकि देश के SC-ST वर्गों को ऐसा ही जातिवादी रवैया अपनाने की कांग्रेस से भी बड़ी शिकायत, क्योंकि इस पार्टी ने भी इनके उपवर्गीकरण व उन्हें बांटने पर भाजपा की तरह ही अभी तक चुप्पी साध रखी है, जो अनुचित.”
पीएम मोदी ने अपने भाषण में क्या कहा?
बता दें कि 78वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले पीएम मोदी ने कहा, ‘‘देश का एक बहुत बड़ा वर्ग मानता है कि जिस नागरिक संहिता को लेकर हम लोग जी रहे हैं, वह सचमुच में साम्प्रदायिक और भेदभाव करने वाली संहिता है. मैं चाहता हूं कि इस पर देश में गंभीर चर्चा हो और हर कोई अपने विचार लेकर आए.”
पीएम मोदी ने आगे कहा, उन्होंने कहा, ‘‘मैं कहूंगा कि यह देश की मांग है कि भारत में धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता होनी चाहिए. हम सांप्रदायिक नागरिक संहिता के साथ 75 साल जी चुके हैं. अब हमें धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता की ओर बढ़ना होगा. तभी धर्म आधारित भेदभाव खत्म होगा. इससे आम लोगों का अलगाव भी खत्म होगा.’’