Patna High Court Verdict: 27 अक्टूबर 2013 को पटना के गांधी मैदान (Gandhi Maidan) में नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की हुंकार रैली में सीरियल ब्लास्ट (Patna Bomb Blast) करने वाले 4 आतंकियों को पटना हाई कोर्ट ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है। इससे पहले पटना सिविल कोर्ट ने सभी 6 आरोपियों में से 4 को फांसी और 2 को उम्रकैद की सजा सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने बाकी 2 दोषियों की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है।
दरअसल आरोपियों ने निचली अदालत के फैसले को पटना हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। इस संबंध में पटना के गांधी मैदान थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी। 31 अक्टूबर 2013 को एनआईए ने केस अपने हाथ में ले लिया था।
कोर्ट ने बुधवार को दोषी इम्तियाज आलम, हैदर अली, नुमान अंसारी और मोजिबुल्ला अंसारी की फांसी की सजा में बदलाव कर दिया। जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने इस मामले पर सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे आज सुनाया गया।
दोषियों के वकील इमरान घानी ने बताया कि ‘अपील पर सुनवाई करते हुए 4 दोषियों को आजीवन कारावास (30 साल) की सजा सुनाई है, जबकि 2 दोषियों के लिए निचली अदालत के फैसले को सुरक्षित रखा है।यह फैसला जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने दिया है। नुमान अंसारी, मोहम्मद मजीबुल्ला, हैदर अली, इम्तियाज आलम को निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे अब हाईकोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया है।
फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे आरोपी
वहीं, उमैर सिद्दकी और अजरहुद्दीन कुरैशी के लिए निचली अदालत का जो आजीवन कारावास का फैसला है। उसे यथावत रखा है। बचाव पक्ष के वकील इमारन घानी ने बताया कि इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
जानें क्या था मामला
गांधी मैदान में बम धमाके की ये घटना 27 अक्टूबर 2013 को हुई थी। उस वक्त लोकसभा चुनाव 2014 के लिए सभी पार्टियां प्रचार में जुटी थीं। इस दौरान नरेंद्र मोदी पटना पहुंचे थे। गांधी मैदान में बीजेपी ने हुंकार रैली का आयोजन किया गया था। वे रैली को संबोधित कर रहे थे। उसी समय पटना जंक्शन के प्लेटफार्म संख्या 10 स्थित सुलभ शौचालय के पास पहला बम ब्लास्ट हुआ था। इसके बाद गांधी मैदान में और आसपास छह स्थानों पर सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे। विस्फोटों में छह लोगों की मौत हुई थी और 89 लोग घायल हुए थे। इस घटना के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने तत्कालीन गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे से एनआईए जांच की मांग की थी। एनआईए ने इस मामले में 2014 में सभी आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. मामले में 187 लोगों की कोर्ट में गवाही कराई गई थी।