RBI Interest Rate Update: अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने चार साल बाद 18 सितंबर को ब्याज दरों में कटौती की है. 50 आधार अंकों (0.5%) की कटौती विशेषज्ञों की उम्मीदों से कहीं ज्यादा है. अब ब्याज दरें 4.75% से 5.25% के बीच रहेंगी. अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, इसलिए इसके केंद्रीय बैंक का हर बड़ा फैसला दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित करता है.
कटौती का असर: भारत में भी ब्याज दरें कम हो सकती हैं, लोन सस्ते होंगे
अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती के बाद भारतीय रिजर्व बैंक भी दर में कटौती कर सकता है. इस कटौती से बैंकिंग सेक्टर पर दबाव पड़ सकता है. ब्याज दरों में गिरावट के कारण बैंक जमा ग्राहकों के लिए कम आकर्षक हो जाते हैं. इससे मध्यम अवधि में बैंकिंग लाभप्रदता प्रभावित होगी. हालांकि, रियल एस्टेट सेक्टर को कम लोन दरों का लाभ मिल सकता है.
दरों में कमी के कारण अमेरिका और अन्य देशों की ब्याज दरों में अंतर बढ़ गया है. इससे भारत जैसे देशों में करेंसी कैरी ट्रेड (कम ब्याज पर लोन लेकर उसे अधिक ब्याज वाले बाजार में निवेश करना और उससे पैसा कमाना) बढ़ेगा. ऐसे में अमेरिका में ब्याज दर जितना कम होगा, आर्बिट्रेज का अवसर उतना ही अधिक होगा. आर्बिट्रेज का अवसर वह स्थिति है, जिसमें लोग बाजारों में कीमतों के अंतर का फायदा उठाकर पैसा बनाते हैं.
अमेरिका में कम ब्याज दर भारत में विदेशी निवेश को बढ़ावा दे सकती है, जिससे मुद्रा और इक्विटी बाजार मजबूत होंगे. इसका असर अमेरिका और भारतीय बाजारों पर भी देखने को मिला है. 19 सितंबर को अमेरिकी बाजार का डाउ जोंस 1.26% की तेजी के साथ 42,025 पर बंद हुआ. आज यानी 20 सितंबर को सेंसेक्स ने 84,694 और निफ्टी ने 25,849 का हाई बनाया.
दरों में कटौती से अक्सर अमेरिकी डॉलर का अवमूल्यन होता है, जिसका असर वैश्विक व्यापार संतुलन और विनिमय दरों पर पड़ता है. कमजोर डॉलर तेल और सोने जैसी वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि कर सकता है, क्योंकि आम तौर पर इनकी कीमत डॉलर में होती है. भारत में आज सोना ₹220 बढ़कर ₹73,202 पर पहुंच गया. चांदी ₹88,612 प्रति किलोग्राम पर बिक रही है.