इंदौर। डिजिटल अरेस्ट के जरिए करोड़ों रुपये वसूलने वाला ठग जयसिम्हा रेड्डी ऑस्ट्रेलिया का सर्वर का उपयोग कर रहा था। उसकी गैंग के कई सदस्य दुबई में रहते हैं। यह बात जयसिम्हा के भाई के. कृष्ण कुमार ने अपराध शाखा के अधिकारियों को पूछताछ में बताई है।
विदेश भागने की आशंका पर जयसिम्हा के लिए पुलिस एलओसी जारी करवा रही है। एडिशनल डीसीपी (अपराध) राजेश दंडोतिया के मुताबिक, सॉफ्टवेयर इंजीनियर के साथ हुई 12 लाख 10 हजार रुपये की धोखाधड़ी के मामले में के. कृष्णकुमार निवासी साइबराबाद (तेलंगाना) को गिरफ्तार किया था।
गैंग का अहम सदस्य है कृष्ण कुमार
आयकर विभाग में मल्टी टास्किंग की नौकरी करने वाला कृष्ण कुमार गैंग का अहम सदस्य है। वह जयसिम्हा के इशारे पर रुपये इधर-उधर करता था। कृष्ण कुमार को पांच दिन के लिए रिमांड पर लिया है। एडीसीपी के मुताबिक, कृष्ण कुमार ने बताया कि जयसिम्हा अक्सर दुबई जाता रहता था।
साइबर अपराध में माहिर जयसिम्हा दुबई से ही गैंग को ऑपरेट करता था। अपनी पत्नी श्वेता और कृष्ण कुमार से इंटरनेट कालिंग के जरिए ही बात करता था। जयसिम्हा जांच एजेंसियों को चकमा देने के लिए ऑस्ट्रेलिया के सर्वर का उपयोग करता था।
पुलिस को शक है आरोपित टेक्स्ट एप या वीपीएन का उपयोग कर रहा था। हाई टेक प्रकरण की जांच के लिए साइबर एक्सपर्ट की सहायता ली जा रही है। जयसिम्हा के नंबर और सर्वर की जांच जारी है। पुलिस को शक है आरोपित गिरफ्तारी के डर से विदेश भाग सकता है। पासपोर्ट विभाग से जानकारी लेकर एलओसी जारी करवाया जाएगा।
साइबर अपराध में शामिल पत्नी की भूमिका संदिग्ध
कृष्ण कुमार ने पुलिस को बताया कि जयसिम्हा की पत्नी श्वेता को उसके कारनामों की जानकारी रहती थी। बुटिक चलाने वाली श्वेता पहले जयसिम्हा के साथ धोखाधड़ी करती थी। विशाखापट्टनम में उसकी गिरफ्तारी हो चुकी है। जयसिम्हा पूरे देश में ठगी कर रहा था।
छह राज्यों की पुलिस उसकी जांच कर रही है। उसके 111 से अधिक बैंक खातों को फ्रीज करवाया जा चुका है। पुलिस ने श्वेता की भूमिका की जांच शुरू कर दी है। एक प्रकरण में गुजरात पुलिस श्वेता से पूछताछ भी कर चुकी है।
ट्राई-सीबीआई और मुंबई क्राइम ब्रांच की धमकी देकर ठगी का प्रयास
उधर, इसी तरह के एक अन्य मामले में साइबर अपराधियों ने एक व्यक्ति को जाल में फंसाने का प्रयास किया। अपराधियों ने ट्राई-सीबीआई और मुंबई क्राइम ब्रांच का अधिकारी बनकर धमकाया और रुपयों की मांग की। अपराधी डिजिटल अरेस्ट करते, इसके पहले ही उनकी असलियत सामने आ गई।
पीड़ित ने पुलिस को बताया कि अपराधियों ने सिमकार्ड बंद करने का नोटिस भेजा और कहा कि अवैध गतिविधियों में उनके नंबरों का उपयोग हुआ है। इसके बाद मुंबई क्राइम-ब्रांच के नाम से आए फोन पर धमकाया गया कि उसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है।
आतंकी घटना में सिम का इस्तेमाल का दिया झांसा
बताया गया कि उनके नाम से जारी सिमकार्ड का आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए उपयोग किया जा रहा है। वॉट्सएप पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और सीबीआई के नाम से नोटिस भेजे जाने लगे। मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा केस बताकर वीडियो कर पूछताछ की जाने लगी।
पीड़ित से कहा कि वह स्वयं को होटल मेंं बंद कर ले और इस संबंध में होने वाली बातों को किसी से साझा न करे। उनके बैंक खातों की डिटेल, आधार कार्ड, फोटो भी वीडियो काल के माध्यम से सभी स्क्रीन पर शेयर करने के लिए कहा गया।
बातों में उलझाकर पूछा कि बैंक घर से कितनी दूर है और पैसे निकालने में कितनी देर लगेगी। इसके बाद 15 लाख रुपये ट्रांसफर करने के लिए कहा। बताया गया कि क्लीनचिट मिलते ही रुपए वापस कर दिए जाएंगे। मगर, अपनी सूझबूझ से पीड़ित झांसे में आने से बच गया।