रायपुर। पुणे में इंटर्नशिप कर रही अपनी बेटी को बचाने के लिए नगर निगम कर्मचारी मनीष कुमार भोई ठगी का शिकार हो गए। उन्होंने एक अज्ञात नंबर से आई कॉल का जवाब दिया, जिसमें सामने वाले व्यक्ति ने खुद को महाराष्ट्र सीआईडी का अफसर बताया और कहा कि उनकी बेटी और उसकी तीन सहेलियाँ ड्रग बेचने के आरोप में गिरफ्तार हो गई हैं।
कैसे हुई डिजिटल ठगी
घटना की शुरुआत उस दिन हुई, जब मनीष कुमार भोई सुबह के समय अपने कार्यालय जाने के लिए घर से निकले थे। इसी दौरान उन्हें एक अज्ञात नंबर से फोन आया। फोन करने वाला व्यक्ति खुद को महाराष्ट्र सीआईडी का अफसर बताने लगा और कहा कि उनकी बेटी ड्रग बेचने के आरोप में अपनी तीन सहेलियों के साथ गिरफ्तार हो गई है।
ठग ने मनीष कुमार से कहा कि यदि वे अपनी बेटी को छुड़ाना चाहते हैं, तो उन्हें एक लाख रुपये तुरंत देने होंगे। इस डर में आकर मनीष ने बिना किसी से बात किए तुरंत अपने खाते से 25 हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए। इस दौरान ठग ने उन्हें उनकी बेटी की आवाज भी भेजी, जिसमें वह मदद की गुहार लगा रही थी।
ठग ने की लाख रुपये जमा करने की मांग
ठग ने मनीष कुमार पर दबाव बनाते हुए एक लाख रुपये की मांग की। उन्होंने कहा कि अगर पैसे जल्द से जल्द ट्रांसफर नहीं किए गए, तो उनकी बेटी के खिलाफ मामला गंभीर हो जाएगा। डर के मारे मनीष ने तय किया कि वह बचे हुए पैसे लेकर बैंक जाएंगे और तुरंत जमा करेंगे। वे घर से और पैसे लेकर बैंक पहुंचे, लेकिन वहां पैन कार्ड से उनका खाता लिंक न होने के कारण वे पैसे जमा नहीं कर पाए।
ठगी का एहसास हुआ
बैंक से खाली हाथ लौटने के बाद मनीष कुमार को एक अजीब सा शक हुआ कि कुछ गलत हो रहा है। जब उन्होंने अपने बेटे से इस बारे में बात की, तो बेटे ने बहन से संपर्क किया। इस बातचीत में मनीष कुमार को यह अहसास हुआ कि उन्होंने ठगी का शिकार हो गए हैं। बेटे ने तुरंत बहन से बात की, और मनीष कुमार को यह बताया कि बहन तो असलियत सामने आई और पता चला कि वे डिजिटल अरेस्ट का शिकार हुए हैं।।
मनीष कुमार की समझदारी से बची 80 हजार रुपये
घटना के बाद मनीष कुमार ने आजाद चौक थाना में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने पुलिस को बताया कि ठग ने उन्हें लगातार वाट्सएप कॉल के जरिए डराया और धमकाया था। उन्हें अपनी बेटी का भविष्य खराब होने का डर दिखाया गया। मनीष ने बताया कि वे अपनी बेटी को बचाने के लिए कुछ भी करने को तैयार थे, इसीलिए वे आसानी से ठग के झांसे में आ गए।
हालांकि, मनीष कुमार की समझदारी के कारण वे 80 हजार रुपये को बचाने में सफल रहे, क्योंकि बैंक में जमा करते समय पैन कार्ड लिंक न होने के कारण पैसे जमा नहीं हो पाए। उन्होंने पुलिस से ठग के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। अब पुलिस मामले की जांच कर रही है और ठगों का पता लगाने की कोशिश कर रही है।