दुर्ग। हाई प्रोफाइल इंजीनियर शिवांग चंद्राकर की मर्डर मिस्ट्री को दुर्ग पुलिस ने आखिरकार 65 दिनों की मशक्कत के बाद सुलझा लिया है. कर्ज तले दबे पूर्व सरपंच ने अपहरण का प्लान बनाया था, लेकिन पुलिस की सक्रियता से प्लान में बदलाव कर शिवांग को मौत के घाट उतार दिया. मामले में पूर्व सरपंच सहित तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. मामले का खुलासा आईजी ओपी पाल ने जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ करते हुए बताया कि महंगे कपड़े और विलासितापूर्ण जीवन की चाह में आरोपियों ने मृतक का अपहरण कर 30 लाख रुपए की फिरौती मांगने का प्लान बनाया था, लेकिन पुलिस की सक्रियता से प्लान बदल दिया. घटना का मास्टर माइंड कर्ज में डूबा चंदखुरी गांव का पूर्व सरपंच अशोक देशमुख निकला है, जो चुनाव हारने व रेगहा की जमीन को लेकर हुए विवाद की वजह से मृतक से रंजिश रखता था. उसके साथ विक्की उर्फ मोनू देशमुख और बसंत कुमार साहू को गिरफ्तार किया गया है.
आरोपियों तक पहुंचने के लिए पुलिस ने करीब 500 लोगों से पूछताछ के अलावा 200 सीसीटीवी कैमरे खंगाले थे. शिवांग की हत्या गले में रस्सी का फंदा लगाकर की गई थी. हत्या के बाद साक्ष्य छुपाने बैग, जैकेट और लोवर को झरझरा पुलिया के पास जला दिया था. हत्या की गुत्थी सुलझाने में पुलिस की 6 टीमें लगी थी. आरोपियों तक पहुंचने में गुरजीत सिंह, उप पुलिस अधीक्षक, यातायात, निरीक्षक, नरेश पटेल, गौरव तिवारी, रमेश चन्द्रा, रक्षित निरीक्षक, उप निरीक्षक डुलेश्वर सिंह चन्द्रवंशी, सउनि अजय सिंह, राधेलाल वर्मा, नरेन्द्र सिंह राजपूत, पूर्ण बहादुर, शमित मिश्रा, प्र.आर संतोष मिश्रा, चन्द्रशेखर बंजीर, आरक्षक जावेद खान, प्रदीप सिंह, जगजीत सिंग, तिलेश्वर राठौर, धीरेन्द्र यादव, चित्रसेन साहू, केशव साहू, अलाउद्दीन, हीरामन साहू, पाण्डेय, गोह, शमीम खान, अनूप शर्मा, शाहबाज खान, पन्नेलाल, संतोष गुप्ता, जुगनू सिंह, उपेन्द्र यादव, पंकज चतुर्वेदी, शोभित सिंहा की भूमिका उल्लेखनीय रही.