Nirmala Sitharaman In Rajyasabha: लोकसभा के बाद राज्यसभा में सोमवार को संविधान के 75 साल पूरे होने पर दो दिनों तक चलने वाली बहस शुरु हो गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सबसे पहले राज्यसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने जमकर विपक्ष पर निशाना साधा। साथ ही संविधान के 42वें संशोधन को लेकर कांग्रेस पर तीखा प्रहार किया। हालांकि, इस दौरान कांग्रेस सांसद जयराम रमेश और जेपी नड्डा के बीच वार पलटवार भी देखने को मिला। निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस पर विपक्ष को जेल में डालकर संविधान के प्रस्तावना से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया। साथ ही 39वें संशोधन पर भी वित्त मंत्री ने इंदिरा सरकार पर निशाना साधा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कांग्रेस ने 1951 में संशोधन कर अभिव्यक्ति की आजादी पर कैंची चलाई। इसके बाद 1975 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में राजनारायण का केस पेंडिंग होने के बावजूद कांग्रेस ने 39वें संशोधन के जरिये यह प्रावधान जोड़ दिया कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के निर्वाचन को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती। इसके लिए ही किस्सा कुर्सी का बैन कर दिया गया। वित्त मंत्री ने शाहबानो केस का जिक्र करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम महिला को न्याय दिलाने के लिए जो आदेश दिया, उसके खिलाफ कांग्रेस ने कानून बना दिया कि महिला को न्याय नहीं मिलना चाहिए।
42वें संशोधन का किया जिक्र
वित्त मंत्री संविधान पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि संविधान की प्रस्तावना में संशोधन कर सेक्यूलर और सोशलिस्ट शब्द जोड़ दिए गए। पूरे विपक्ष को जेल में डालकर ऐसा किया गया। लोकसभा में उनके कुछ सदस्यों ने भी इसका विरोध किया था। राज्यसभा में तो विपक्ष था ही नहीं। उन्होंने मीसा के तहत विपक्षी सांसदों की गिरफ्तारी को लेकर भी कांग्रेस को घेरा। साथ हीवित्त मंत्री मंत्री निर्मला सीतारमण ने 42वें संविधान संशोधन का जिक्र किया और कहा कि संसद के विस्तारित कार्यकाल में विपक्ष के सदस्यों को जेल में डालकर ऐसा किया गया। बाद में 1978 में मोरारजी देसाई की सरकार ने 42वें संशोधन के प्रावधान हटाने के लिए 44वां संशोधन लाया। इस पर जयराम रमेश ने कहा कि खुद इंदिरा गांधी ने भी इसके समर्थन में वोट किया था। नेता सदन जेपी नड्डा ने कहा कि जब ये बिल आया तब जनता ने इंदिरा गांधी को हरा दिया था। तब मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री थे। जयराम रमेश ने कहा कि इन्होंने ठीक से सुना नहीं। मैंने भी यही कहा था।
बाबा साहेब को लेकर भी किया तीखा प्रहार
वित्त मंत्री ने कहा कि केशवानंद भारती केस में कोर्ट के निर्णय के बाद तीन जजों को सप्रेशन के जरिये स्विफ्ट पनिशमेंट दिया गया। जिस जज ने अलग राय रखी थी, उसे प्रोन्नत किया गया। ओबीसी कमीशन बनाया गया और इसे संवैधानिक दर्जा दिया गया। बाबा साहब ने कहा था कि पंडित नेहरू दलितों के कल्याण को लेकर गंभीर नहीं हैं। पंडित नेहरू ने पिछले 20 साल में 2000 हजार भाषण दिए हैं लेकिन एक में भी दलितों के कल्याण की बात नहीं है। कांग्रेस कैसे दावा कर सकती है कि वह दलित हितैषी है। कांग्रेस ने बाबा साहब की फोटो तक सेंट्रल हॉल में नहीं लगने दी। भारत रत्न देने से इनकार किया। ओबीसी आरक्षण लागू नहीं किया। अटल बिहारी वाजपेयी ने सबसे पहले पीएम रहते जीएसटी की बात की थी। 10 साल की सरकार के दौरान जीएसटी को लेकर यूपीए सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। हमने सत्ता में आने के बाद दो साल के भीतर इसे लागू किया।