सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी को क्लास लगा दी . कोर्ट ने कहा कि राजधानी में हर दिन तीन हजार टन कूड़ा अनट्रीटेड रहता है, यानी नष्ट नहीं किया जाता उन्होंने चीफ सेक्रेटरी से पूछा कि सरकार क्या कर रही है इससे निपटने के लिए और कब तक इस समस्या से निपटने का समय है. दिल्ली में हर दिन 11 हजार टन कूड़ा इकट्ठा होता है और 8 हजार टन नष्ट कर दिया जाता है, जबकि 3 हजार टन कूड़ा नष्ट करने से बच जाता है. कोर्ट ने कहा कि ये स्थिति बेहद खतरनाक और शर्मनाक है, इसलिए कोर्ट में बेकार की हीटेड बहस करने का कोई मतलब नहीं है.
जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस ऑस्टिन जॉर्ज ऑगस्ट की बेंच ने सुनवाई करते हुए कूड़े को अवैध तरीके से डंप करने पर नाराजगी जताई. कोर्ट ने कहा कि प्रशासन न तो सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स, जो 2016 में लागू हुए थे, का पालन कर पा रहा है. कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा है कि 15 जनवरी, 2025 तक गाजीपुर और भलसवा में डंप किए जाने वाले 3,800 टन कूड़े को लेकर एक एफिडेविट देना चाहिए, जिसमें आग को रोकने और पर्यावरणीय नुकसान को कम करने के लिए किए गए उपायों की सूची दी जाए. 17 जनवरी को कोर्ट हलफनामे का रिव्यू करेगा. कोर्ट ने सरकार से भी जानकारी मांगी है कि पिछले एक वर्ष में कूड़े को नष्ट करने के लिए आग का कितनी बार इस्तेमाल किया गया है, जिसे पर्यावरण के लिए अनुचित बताया गया है.
दिल्ली चीफ सेक्रेटरी ने सुनवाई के दौरान वर्चुअली को शामिल करते हुए कहा कि सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स को लागू करने पर विचार चल रहा है 11 नवंबर के कोर्ट के आदेश के बाद. जस्टिस अभय ओका ने कहा, “आप कह रहे हैं कि प्रशासन सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स के अनुसार कूड़े को नष्ट करने के लिए सुविधाएं स्थापित करने की बात कर रहे हैं. कोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी से पूछा, “आप कब तक इसे लागू करेंगे?” उन्होंने कहा, “हमने अभी के लिए एफडेविट नहीं मांगा है; इसके बजाय, आपको 2027 और 2028 तक का कार्यक्रम बताना होगा जो सरकार के पास वैध रूप से कूड़े को डंप करने के लिए है.
एमसीडी के एडवोकेट मेनकी गुरुस्वामी ने कोर्ट को बताया कि कूड़े को नष्ट करने के लिए उपाय किए जा रहे हैं. इसके बावजूद, जस्टिस अभय ओका ने कहा, “अगर इतनी गंभीरता से काम हो रहा है तो दिल्ली सरकार और एमसीडी थोड़े समय के लिए कंस्ट्रक्शन रोक क्यों नहीं देते?” जस्टिस ओका ने दिल्ली चीफ सेक्रेटरी पर भड़क गए और कहा कि वह कोर्ट के आदेश की परवाह नहीं करते और न ही इसका पालन करने की जहमत उठाते हैं.