Manu Bhaker Khel Ratna Award: पेरिस ओलंपिक्स में डबल मेडल जीतकर देश का नाम रोशन करने वाली स्टार शूटर मनु भाकर एक बार फिर चर्चा में हैं। लेकिन इस बार वजह खेल नहीं, बल्कि खेल से जुड़े उनके आत्मसम्मान को लेकर है। दरअसल, मनु भाकर का नाम इस बार के खेल रत्न पाने वाली लिस्ट में शामिल नहीं है, जिसे लेकर उनके पिता ने एक बयान दिया है जिसमें उनका दर्द साफ तौर पर देखने को मिला।
मनु के पिता ने कहा, “ये मेरी गलती है कि मैंने मनु को इस खेल की तरफ लेकर जाने का काम किया। मैं देश के सभी माता-पिता से कहना चाहूंगा कि अपने बच्चों को खेल में आगे नहीं बढ़ाएं, लेकिन यदि आपको पैसा चाहिए तो फिर क्रिकेट में उन्हें आगे बढ़ाएं। नहीं तो अपने बच्चों को IAS या फिर PCS बनाएं। हम साल 2036 में होने वाले ओलंपिक गेम्स की मेजबानी को लेकर बात कर रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ आप अपने ही एथलीटों का आत्मविश्वास तोड़ने का काम कर रहे हैं। मुझे लगता है कि सभी माता-पिता अपने बच्चों को IAS या PCS बनाएं ताकि उनके हाथ में ताकत रहे, जिससे वे ये तय कर सकें कि किसे खेल रत्न अवॉर्ड मिलना चाहिए।”
कोच जसपाल राणा ने खेल मंत्रालय की आलोचना
जसपाल राणा जो मनु भाकर के कोच हैं उन्होंने भी इस पूरे मामले में खेल मंत्रालय की जमकर आलोचना की, उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि वह सभी दोषी हैं। आखिर आप कैसे कह सकते हैं कि मनु ने आवेदन नहीं किया? वह देश की पहली ऐसी महिला निशानेबाज है जिसने एक ही ओलंपिक में 2 पदक जीते हैं। उसका नाम तो लिस्ट में पहले से ही अपने आप होना चाहिए था। इस तरह की चीजें सिर्फ आपको आगे बढ़ने से रोकती हैं।
मनु ने पुरस्कार के लिए नहीं किया आवेदन – खेल मंत्रालय
मनु भाकर को खेल रत्न पुरस्कार की सूची से बाहर रखे जाने को लेकर उठे विवाद के बीच स्वीकार किया कि नामांकन दाखिल करते समय शायद उनकी ओर से कोई चूक हुई है। खेल मंत्रालय ने नुकसान की भरपाई के लिए कदम उठाते हुए कहा था कि पुरस्कार के लिए नामांकन की सूची को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है। खेल मंत्रालय के अधिकारियों ने यह दावा भी किया कि निशानेबाज ने पुरस्कार के लिए आवेदन नहीं किया था। वहीं, मनु के पिता राम भाकर ने कहा कि उसने वास्तव में अपना आवेदन भेजा था। मुद्दा यह है कि भले ही मनु ने पुरस्कार के लिए आवेदन नहीं किया था, लेकिन चयन पैनल ने वर्षों से एक निशानेबाज के रूप में उसकी शानदार उपलब्धियों का संज्ञान क्यों नहीं लिया?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बैकफुट पर फंसे खेल मंत्रालय अब राष्ट्रीय खेल दिवस पुरस्कार योजना के प्रावधानों में निहित अपनी कार्यकारी शक्तियों का उपयोग करके देश के सर्वोच्च खेल सम्मान जैसे खेल रत्न, अर्जुन, द्रोणाचार्य और मेजर ध्यानचंद के लिए उनका नाम नामांकित करने पर विचार कर रहा है। यह भी जानकारी सामने आई है कि खेल मंत्रालय अपनी साख बचाने के लिए मनु भाकर को खेल रत्न दे सकता है।
मनु ने क्या कहा ?
मनु ने इस मामले को लेकर ‘एक्स’ पर लिखा, ‘सबसे प्रतिष्ठित खेल रत्न पुरस्कार के लिए मेरे नामांकन को लेकर चल रहे मुद्दे के संबंध में मैं यह कहना चाहूंगी कि एक खिलाड़ी के रूप में मेरी भूमिका अपने देश के लिए खेलना और प्रदर्शन करना है। मुझे लगता है कि नामांकन दाखिल करते समय शायद मेरी ओर से कोई चूक हुई है जिसे ठीक किया जा रहा है। पुरस्कार और मान्यता मुझे प्रेरित करते हैं, लेकिन ये मेरा लक्ष्य नहीं हैं। पुरस्कार मिले या नहीं, मैं अपने देश के लिए और अधिक मेडल जीतने के लिए प्रेरित रहूंगी। सभी से अनुरोध है कि कृपया इस पर अटकलें न लगाएं।’
ओलंपिक्स में 2 मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला हैं मनु
मनु भाकर ने पेरिस गेम्स 2024 में महिलाओं की व्यक्तिगत 10 मीटर एयर पिस्टल में बैक-टू-बैक मेडल (कांस्य) जीतकर और सरबजोत सिंह के साथ मिश्रित टीम स्पर्धा में पदक जीतकर ओलंपिक खेलों में सबसे महान भारतीय एथलीटों में से एक के रूप में अपनी जगह पक्की की है। हरियाणा के झज्जर जिले की 22 वर्षीय मनु भाकर भारत की आजादी के बाद से एक ही ओलंपिक संस्करण में ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी हैं।