भारत ने अपने नागरिकों को अस्थायी रूप से यूक्रेन छोड़ने की सलाह दी है। कीव में मौजूद भारतीय दूतावास ने खासतौर पर यूक्रेन में मौजूद भारतीय छात्रों को अस्थायी रूप से स्वदेश लौटने के लिए कहा है। यह सलाह यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे तनाव के युद्ध में बदलने की संभावना के कारण दी गई है। इस तनाव के कारण अमेरिका, ब्रिटेन, नॉर्वे, जापान, लातविया और डेनमार्क पहले ही अपने नागरिकों को यूक्रेन छोड़ने के लिए कह चुके हैं।
भारतीय दूतावास ने जारी की है एडवाइजरी
भारतीय दूतावास ने यूक्रेन छोड़ने के लिए एक एडवाइजरी लेटर यूक्रेन में मौजूद भारतीयों को भेजा है। लेटर में कहा गया है कि यूक्रेन के मौजूदा अनिश्चित माहौल को देखते हुए भारतीय नागरिकों, खासकर छात्रों को यूक्रेन छोड़कर अस्थायी तौर पर स्वदेश लौटने की सलाह दी जा रही है। लेटर में आगे कहा गया है कि भारतीय नागरिक बिना किसी आवश्यक काम के यूक्रेन की यात्रा न करें और वहां मौजूद नागरिक भी अनावश्यक घर से बाहर ना जाएं।
दूतावास ने यूक्रेन में मौजूद सभी भारतीय नागरिकों से यह भी अपील की है कि वो अपनी मौजूदगी के बारे में दूतावास को जानकारी देते रहें, ताकि जरूरत पड़ने पर उन तक मदद पहुंचाई जा सके। इसमें कहा गया कि भारतीय दूतावास अपने नागरिकों की मदद करने के लिए यूक्रेन में अपना सामान्य कामकाज जारी रखेगा।
रूस-यूक्रेन विवाद पर भारत ने रखा है तटस्थ रुख
भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यूक्रेन मामले को लेकर रूस के खिलाफ अमेरिकी प्रस्ताव पर मतदान से खुद को अलग रखा। इसके साथ ही भारत ने शांतिपूर्ण बातचीत के जरिए तनाव को तत्काल कम करने की अपील की। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस. तिरुमूर्ति ने स्पष्ट किया, भारत का हित एक ऐसा समाधान खोजने में है, जो सभी देशों के वैध सुरक्षा हितों को ध्यान में रखते हुए तनाव को तत्काल कम कर सके और इसका उद्देश्य क्षेत्र और उससे बाहर दीर्घकालिक शांति और स्थिरता कायम करना है।
यूक्रेन मामले में रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाने की पश्चिमी देशों की धमकियों के बीच भारत ने स्पष्ट कहा है कि वह रूस के खिलाफ किसी भी आर्थिक प्रतिबंध का पक्षकार नहीं बन सकता।
20 हजार भारतीय छात्र हैं यूक्रेन में
पूर्वी यूरोप में इस विवाद के कारण युद्ध होने की संभावना के बीच यूक्रेन में इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई कर रहे 20 हजार भारतीय छात्र परेशानी में पड़ गए हैं। इनमें से ज्यादातर छात्र आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, पंजाब और राजस्थान से हैं। इन छात्रों को वापस भारत लाने के लिए दिल्ली स्थित राष्ट्रपति सचिवालय में याचिका भी दायर की गई है।
दायर याचिका में कहा गया- पूरे देश से 18 से 20 हजार भारतीय स्टूडेंट्स यूक्रेन की अलग-अलग यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के लिए गए हैं। भारत सरकार की तरफ से अभी तक इनके जीवन से जुड़े हुए इस गंभीर मसले पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
रूस और यूक्रेन में यह है तनाव की वजह
रूस ने यूक्रेन की सीमा के पास एक लाख से ज्यादा सैनिकों का जमावड़ा कर रखा है। इससे इस क्षेत्र में युद्ध की आशंका तेज हो गई है। रूस ने लगातार इस बात से इनकार किया है कि वह यूक्रेन पर हमले की योजना बना रहा है, लेकिन अमेरिका और उसके NATO सहयोगियों का मानना है कि रूस युद्ध की ओर बढ़ रहा है और इसके लिए तैयारी कर रहा है। वहीं रूस की मुख्य मांगों में NATO में यूक्रेन को शामिल नहीं करना और क्षेत्र से ऐसे हथियारों को हटाना शामिल है, जिससे रूस को खतरा हो सकता है।