रायपुर। राज्य अधिवक्ता परिषद के पदाधिकारियों के साथ आज रायगढ़ के वकीलों का एक प्रतिनिधिमंडल चीफ जस्टिस से मिलकर अपना पक्ष रखेंगे। दूसरी तरफ बीसीआइ ने डीजीपी को लिखे पत्र में विवाद के मूल में भ्रष्टाचार को कारण बताया है। राजस्व प्रकरणों के निपटारे में राजस्व अधिकारियों द्वारा की जा रही मनमानी और भ्रष्ट आचरण की जांच की मांग भी की है। बीसीआइ ने पत्र की प्रतिलिपि छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस, राज्यपाल व मुख्यमंत्री को भी भेजा है। मारपीट की घटना से नाराज रायगढ़ जिला अधिवक्ता संघ ने एंटी करप्शन ब्यूरो को पत्र लिखकर विवादित तहसीलदार की संपत्ति की जांच की मांग की है। शिकायत में इस बात का भी उल्लेख किया है कि शिकायत के बाद भी वे गृह जिला में ही जमे हुए हैं। जिला अधिवक्ता संघ के कड़े रुख से मामला गरमाने लगा है।
निर्दोष अधिवक्ताओं के विरुद्ध दर्ज झूठे आपराधिक प्रकरणों को तत्काल वापस लेने तथा अधिवक्ताओं को पुलिस अभिरक्षा से तत्काल रिहा किया जाय। घटना राजस्व कार्यालय में व्याप्त भ्रष्ट आचरण के कारण हुई। जब वकीलों ने कदाचार का विरोध किया तो उनके साथ मारपीट की गई और इस विरोध के परिणामस्वरूप वकीलों के खिलाफ कुछ झूठे मामले दर्ज किए गए, यहां तक कि उन्हें पुलिस कर्मियों द्वारा गिरफ्तार भी किया गया, जो तहसील कार्यालय के भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत को दर्शाता है। तहसील कार्यालय के कर्मचारी हमलावर थे और उन्होंने वकीलों के साथ मारपीट की। लेकिन वे खुद हड़ताल पर चले गए और अपने कार्यालय बंद कर दिए। निर्दोष वकील को गिरफ्तार कर लिया गया है।