छत्तीसगढ़ सरकार ने भाभा और BRIT से किया करार; अनाज-सब्जियों को सुरक्षित करने और गोबर से बिजली बनाने में मदद करेंगे

परमाणु ऊर्जा और उससे जुड़ी तकनीक अब गांवों के भी काम आएगी। छत्तीसगढ़ सरकार ने परमाणु अनुसंधान के क्षेत्र में देश की सबसे बड़ी वैज्ञानिक संस्था भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) और भारत सरकार के बोर्ड ऑफ रेडिएशन एंड आइसोटॉप टेक्नोलॉजी (BRIT) से अलग-अलग करार किया है। यह दोनों संस्थान यहां खाद्यान्न, फलों, सब्जियों और लघु वनोत्पादों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने और गोबर से बिजली बनाने में मदद करेंगे।

मुख्यमंत्री निवास में शनिवार को आयोजित एक सादे समारोह में छत्तीसगढ़ के पहले फूड इरेडिएटर प्लांट स्थापित करने के करार पर हस्ताक्षर हुए। यह करार छत्तीसगढ़ कृषि बीज एवं निगम और विकिरण बोर्ड एवं आइसोटोप प्रौद्योगिकी के बीच हुआ है। यह वैज्ञानिक संस्था केंद्रीय परमाणु ऊर्जा विभाग की एक यूनिट है। इस करार में फूड इरेडिएटर प्लांट के संचालन के साथ तकनीक हस्तांतरण की भी बात है। ताकि प्रदेश के दूसरे हिस्सों में भी ऐसा प्लांट लगाया जा सके। बताया जा रहा है, इस प्लांट की मदद से खाद्यान्न, सब्जी, फल और लघु वनोपजों को लंबे समय तक सुरक्षित, तरोताजा और गुणवत्तापूर्ण बनाए रखा जा सकता है।

दूसरा करार भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र और छत्तीसगढ़ बायो फ्यूल विकास प्राधिकरण के बीच हुआ है। इसके तहत BARC छत्तीसगढ़ को गोबर से बिजली बनाने के लिए तकनीकी मार्गदर्शन देगा। योजना है कि गोधन न्याय योजना के तहत स्थापित गोठानों में गोबर आधारित बिजली संयंत्र लगाए जाएं। इसका प्राथमिक उपयोग गोठानों में संचालित उद्योगों के संचालन, पेयजल, सिंचाई और प्रकाश व्यवस्था में होगा। बची हुई अतिरिक्त बिजली ग्रिड के जरिए बेच दी जाएगी। करार के समय कृषि मंत्री रविंद्र चौबे, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल, कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह, ऊर्जा सचिव अंकित आनंद सहित वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

पांच उद्यमियों से प्लांट लगाने का करार कर रखा है

छत्तीसगढ़ के गोठानों में गोबर से बिजली उत्पादन यूनिट लगाने अब तक पांच उद्यमियों ने सरकार के साथ एमओयू किया है। प्रत्येक प्रोजेक्ट में 10-10 करोड़ रुपए यानी 50 करोड़ रुपए का निवेश प्रस्तावित है। बिजली उत्पादन के लिए गोठानों में खरीदी गए गोबर का उपयोग किया जाएगा। इस योजना के बाद निजी डेयरी फार्म के गोबर एवं शहर में एकत्र होने वाले वेस्टेज का भी उपयोग बिजली उत्पादन में किया जाएगा।

 

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