समानता और आत्मसम्मान के बारे में की बात
उन्होंने हमेशा समानता, न्याय और आत्म-सम्मान के बारे में बात की है। वे मानते थे कि किसी व्यक्ति का मूल्य उसके जन्म से नहीं, उसकी योग्यता और मेहनत से तय होना चाहिए। जब हमारा भारत आजाद हुआ तो देश को एक मजबूत संविधान की जरूरत थी। उस दौरान डॉ. भीमराव अंबेडकर को संविधान मसौदा समिति का अध्यक्ष बनाया गया।
भारत के आजाद होने के बाद बने थे कानून मंत्री
उन्होंने एक ऐसा संविधान तैयार किया जिसमें सभी नागरिकों को बराबरी का अधिकार मिला। भारत के आजाद होने के बाद वे देश के पहले कानून मंत्री बने थे। इसके बाद भी उन्होंने सामाजिक सुधारों को आगे बढ़ाना जारी रखा। इन्हीं सुधारों में एक बड़ा कदम था- हिंदू कोड बिल। यह बिल खास तौर पर महिलाओं के अधिकारों के लिए लाया गया था।
महिलाओं को बराबर का अधिकार दिलाना चाहते थे
कैबिनेट ने नहीं पास किया बिल
हालांकि, उस समय समाज इतना तैयार नहीं था। कैबिनेट में मौजूद कई नेताओं ने इस बिल का विरोध कर दिया। इस बिल को मंजूर ही नहीं किया गया। इससे आहत होकर डॉ. अंबेडकर ने 1951 में कानून मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उनका मानना था कि अगर महिलाओं को बराबरी नहीं दी जा सकती, तो उन्हें इस पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।