‘POK का छोड़ा शानदार मौका, मोदी का देश को धोखा’, AAP कार्यकर्ताओं ने जमकर की नारेबाजी

भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष के समाधान से देशवासियों और विपक्षी दलों में असंतोष है. आम आदमी पार्टी ने मोदी सरकार पर कई बार निशाना साधते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की हैं. आज पार्टी ने एक नया कदम उठाते हुए सरकार के पीओके पर नियंत्रण न पाने के खिलाफ प्रदर्शन शुरू किया. आम आदमी पार्टी के कई नेता ओखला में एक फुटओवर ब्रिज पर बैनर लेकर चढ़ गए और जोरदार नारेबाजी की.

आम आदमी पार्टी के कई प्रमुख नेता इस मुद्दे को उठाते हुए पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) को हासिल न कर पाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. आज पार्टी कार्यकर्ताओं ने ओखला के मोदी फ्लोर मिल्स के पास स्थित फुटओवर ब्रिज पर चढ़कर प्रदर्शन किया, जिसमें बैनर पर लिखा था, “PoK का छोड़ा मौका, मोदी का देश को धोखा.” मंगलवार को दिल्ली के पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह PoK के बारे में बड़े दावे करते थे, लेकिन जब कार्रवाई का समय आया, तो उन्होंने सीजफायर का निर्णय लिया.

उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जब पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) को वापस लेने का समय आया और सेना इस दिशा में आगे बढ़ रही थी, तब प्रधानमंत्री मोदी ने अचानक सीजफायर का निर्णय लिया. क्या यह 78 वर्षों से देश को धोखा देने का प्रयास था? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने POK को वापस लेने का एक सुनहरा अवसर गंवा दिया और पूरे देश को निराश किया. भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान को पराजित किया था, और भारत की स्थिति मजबूत थी, जबकि पाकिस्तान हताश था. इसके बावजूद, प्रधानमंत्री ने युद्धविराम की घोषणा की. क्या मोदी जी का पाकिस्तान से कोई संबंध है?

आतिशी ने क्या कहा कि भड़क गई BJP

भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. पार्टी के कई प्रमुख नेता सरकार के निर्णयों पर सवाल उठा रहे हैं. दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना द्वारा पूछे गए एक प्रश्न पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. भाजपा ने आरोप लगाया है कि एक बार फिर ‘आप’ ने सर्जिकल स्ट्राइक के संदर्भ में सेना के साहस का ‘सबूत’ मांगना शुरू कर दिया है.

भाजपा के प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने मार्लेना पर तीखा हमला करते हुए कहा कि मोदी और भाजपा के खिलाफ सबूत मांगने का सिलसिला फिर से शुरू हो गया है. उन्होंने उल्लेख किया कि आम आदमी पार्टी ने पहले भी सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगे थे, जो पाकिस्तान के अखबारों में प्रकाशित हो चुके हैं. बालाकोट स्ट्राइक के बाद सेना की वीरता पर सवाल उठाने के बाद, अब ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में भी सबूत मांगने का प्रयास किया जा रहा है. पूनावाला ने कहा कि जब पाकिस्तान ने अपने हाथ जोड़ने की बात को स्वीकार नहीं किया, तो ऐसे में सेना के बयान और डीजीएमओ के प्रमाणों पर सवाल उठाना उचित नहीं है.

पूनावाला ने कहा कि आम आदमी पार्टी पाकिस्तान के दृष्टिकोण को दोहरा रही है, यह दावा करते हुए कि पाकिस्तान ने कभी आत्मसमर्पण नहीं किया. उन्होंने उदाहरण दिया कि 1971 के बाद भी पाकिस्तान ने अपनी हार को स्वीकार नहीं किया, और 1999 के कारगिल युद्ध के बाद भी यही स्थिति रही. क्या हमें पाकिस्तान के बयान पर विश्वास करना चाहिए, जबकि भारतीय सेना पर संदेह किया जा रहा है? ये वही लोग हैं जिन्होंने पहलगाम के बाद पाकिस्तान को क्लीनचिट दी थी और अब कार्रवाई के बाद सेना के मनोबल को कमजोर करने के लिए सवाल उठा रहे हैं. अब आतिशी मार्लेना, जिनके माता-पिता ने अफजल गुरु का समर्थन किया था, सबूत मांग रही हैं, जो दर्शाता है कि वे इस युद्ध में एक पक्ष हैं. आम आदमी पार्टी और पाकिस्तान, दोनों एक ही धारा में बह रहे हैं.

आतिशी ने ऐसा क्या कहा?

दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता आतिशी मार्लेना ने मंगलवार को सीजफायर के मुद्दे पर सरकार से कई सवाल पूछे. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में देश के साथ एकतरफा संवाद किया, जिसमें उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान ने उनके सामने हाथ जोड़े और इस पर उन्हें दया आ गई, जिसके कारण उन्होंने सीजफायर के लिए सहमति दी. हालांकि, इस बयान पर कई सवाल उठते हैं.

पहला सवाल यह है कि यदि पाकिस्तान ने वास्तव में हाथ जोड़े और भारत ने दया दिखाते हुए सीजफायर किया, तो इसकी घोषणा भारत ने स्वयं क्यों नहीं की, बल्कि यह घोषणा अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने क्यों की?

पहला सवाल यह है कि यदि पाकिस्तान ने भारत के सामने हाथ जोड़े हैं, तो फिर समझौता क्यों नहीं हुआ? पाकिस्तान दुनिया के सामने अपनी हार स्वीकार करने और कागज पर हस्ताक्षर करने से क्यों कतराता है? आज पूरा देश जानना चाहता है कि अगर पाकिस्तान ने सच में हाथ जोड़े थे, तो वह इसे सार्वजनिक रूप से क्यों नहीं कहता. इसके अलावा, क्या पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ पहलगाम में हुए हमले के आतंकवादियों को सौंपने का कोई प्रयास किया? इस संबंध में भी कोई ठोस प्रमाण नहीं है.

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