कोर्ट में करवा चौथ पर लगाई ऐसी याचिका; भड़क गए जज,जानें पूरा मामला…

Supreme court Hearing On Karva Chauth: करवा चौथ व्रत को देश की सभी महिलाओं के लिए अनिवार्य करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई। याचिका में केंद्र और हरियाणा सरकार को इस त्योहार को सख्ती से लागू कराने का निर्देश देने की मांग की गई थी। याचिका पर भड़के जज ने पहले तो याचिका कर्ता पर ही जुर्माना लगाया। इसके बाद जमकर क्लास लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए नाराजगी भी जताई है और इसे मोटिवेटेड पिटीशन बताया।

बता दें कि करवा चौथ का उपवास भारत में हिंदू महिलाओं द्वारा रखा जाने वाला व्रत है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह व्रत शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं। यह त्योहार भारत के उत्तरी राज्यों जैसे हरियाणा, पंजाब और दिल्ली में धूमधाम से मनाया जाता है।

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के सामने एक याचिका आई है, जो इस व्रत को सभी महिलाओं के लिए अनिवार्य करने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत की बेंच के सामने यह याचिका आई थी। याचिका में केंद्र और हरियाणा सरकार से आग्रह किया गया था कि इस धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व को सख्ती से लागू कराने के लिए आदेश जारी किया जाए। इस पिटिशन में यह भी दावा किया गया था कि इस व्रत को अनिवार्य करने से महिलाओं के स्वास्थ्य और समाज में पारिवारिक रिश्तों को मजबूती मिलेगी, लेकिन बेंच ने इसे पूरी तरह खारिज कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह याचिका पूरी तरह से “मोटिवेटेड पिटीशन” है और ऐसी याचिकाएं अक्सर किसी खास मुद्दे या समस्या के बारे में प्रेरित करने के लिए लगाई जाती हैं। कोर्ट ने इसे पर्दे के पीछे से दायर की जाने वाली याचिका बताया है, ताकि उन्हें सार्वजनिक रूप से सामने न लाया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह की याचिकाएं समाज के किसी भी भले के लिए नहीं हैं और न ही इन्हें गंभीरता से लिया जा सकता है।

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट लगा चुकी है फटकार

बता दें कि पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने भी इस याचिका को खारिज करते हुए याचिका कर्ता पर एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। पंचकूला के नरेंद्र मल्होत्रा को जस्टिस सूर्यकांत को हिदायत दी कि अगर ऐसी याचिका दुबारा दायर करते हैं तो हाईकोर्ट उनके खिलाफ जुर्माना लगाएगा।

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