नमाज मामले में नहीं मिली राहत, 7 प्रोफेसरों की याचिका खारिज

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर के एनएसएस शिविर में हिंदू छात्रों को योग के बहाने नमाज पढ़ाने के आरोपों को लेकर विवादों में आए 7 सहायक प्राध्यापकों को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट से बड़ा झटका मिला है। कोटा थाने में दर्ज एफआइआर को रद्द करने की मांग को लेकर दाखिल की गई याचिका को हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने खारिज कर दिया है।

मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति राकेश मोहन पांडे की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यह मामला गंभीर प्रकृति का है और जांच के इस प्रारंभिक चरण में एफआईआर को रद्द करना उचित नहीं है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक एफआईआर की वैधता पर टिप्पणी नहीं की जा सकती।

कोर्ट ने यह कहा

हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के निहारिका इंफ्रास्ट्रक्चर बनाम महाराष्ट्र राज्य मामले का हवाला देते हुए कहा कि किसी एफआईआर को रद्द करना अत्यंत दुर्लभ मामलों में ही संभव होता है। जांच की प्रक्रिया को प्रभावित नहीं किया जा सकता। जांच के दौरान एफआइआर के आरोपों की सत्यता पर टिप्पणी नहीं की जा सकती। पुलिस को जांच पूरी करने दी जानी चाहिए। हाई कोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ प्राध्यापकों की याचिका को खारिज कर दिया है।

जानिए क्या है पूरा मामला

गुरुघासीदास विश्वविद्यालय की एनएसएस इकाई द्वारा कोटा थाना क्षेत्र के शिवतराई गांव में 26 मार्च से 1 अप्रैल 2025 तक विशेष शिविर लगाया गया था। आरोप है कि इस शिविर में सहायक प्राध्यापक दिलीप झा, मधुलिका सिंह, सूर्यभान सिंह, डॉ. ज्योति वर्मा, प्रशांत वैष्णव, बसंत कुमार और डॉ. नीरज कुमारी ने हिंदू छात्रों को योग सत्र के दौरान नमाज पढ़ने के लिए बाध्य किया।

जानकारी के अनुसार, छात्र आस्तिक साहू, आदर्श कुमार चतुर्वेदी और नवीन कुमार की शिकायत पर कोटा थाने में प्राध्यापकों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 190, 196(1)(बी), 197(1)(बी), 197(1)(सी), 299, 302 और छत्तीसगढ़ धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 1968 की धारा 4 के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया।

याचिकाकर्ताओं ने यह दी दलीलें

प्राध्यापकों की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि शिकायत शिविर समाप्त होने के 14-15 दिन बाद दर्ज की गई, जिससे यह संदेह उत्पन्न होता है कि मामला राजनीतिक प्रेरणा से प्रेरित है। उन्होंने दावा किया कि केवल तीन छात्रों ने शिकायत की जबकि शिविर में लगभग 150 छात्र उपस्थित थे। उन्होंने यह भी कहा कि मुस्लिम छात्रों ने स्वेच्छा से नमाज अदा की, किसी पर दबाव नहीं डाला गया। हालांकि, राज्य सरकार ने इन दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि आरोप प्रथम दृष्टया गंभीर हैं और गवाहों ने भी पुष्टि की है कि हिंदू छात्रों को जबरन नमाज पढ़वाई गई। ऐसे में जांच का निष्पक्ष रूप से पूरा होना आवश्यक है।

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