यूक्रेन में छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया: रायपुर के राजदीप जंग में फंसे लोगों तक पहुंचा रहे खाना और दवाएं

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के रहने वाले राजदीप सिंह हरगोत्रा जर्मनी के म्यूनिख शहर में रहते हैं। यूक्रेन में जंग और बॉर्डर के इलाकों में फंसे भारतीय लोगों और स्टूडेंट्स की खबर पाकर निकल पड़े और बुडापेस्ट पहुंच गए । यहां से अब वो हंगरी-यूक्रेन बॉर्डर जा रहे हैं। जरूरतमंदों के लिए दवाएं, खाना, जूस, पानी, सोने के लिए गद्दे, चादरें वगैरह लेकर इस युवक ने करीब 1200 किलोमीटर का सफर तय किया है।

राजदीप जम्प रोप के इंटरनेशनल प्लेयर हैं, वो अपने कुछ साथियों को लेकर जर्मनी से 9-9 लोगों की क्षमता वाली दो गाड़ियां लेकर निकले हैं, इसमें सामान लाद रखा है। ये बॉर्डर एरियाज में जाकर वहां फंसे भारतीय और दूसरे देश के लोगों को भी राहत का सामान दे रहे हैं।

राजदीप ने बताया कि वो हंगरी-यूक्रेन बॉर्डर जाने के लिए रवाना हो चुके हैं। वहां राहत सामग्री छोड़ेंगे। वहां फंसे लोगों के रहने का इंतजाम ऑस्ट्रिया में कुछ दोस्तों के घरों पर किया है। लोगों को लेकर वो फिर ऑस्ट्रिया पहुंचेंगे और लौट कर इसी तरह सभी की मदद करेंगे।

सोशल मीडिया के जरिए राजदीप लोगों से जुड़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि वहां लोगों से काफी डोनेशन मिल रहा है। आर्ट ऑफ लिविंग, गुरुद्वारे और कई सामाजिक संस्थाएं मदद कर रही हैं। राजदीप ने कहा कई संस्थाएं रेडी टू ईट फूड पैकेट दे रही हैं, जो हम लोगों तक पहुंचा रहे हैं। इंडियन एम्बेसी से भी मदद मिल रही है।

उन्होंने कहा- दिन में कई स्टूडेंट और लोगों के फोन आ रहे हैं। हर दिन 200 से ज्यादा फोन कॉल आ रहे हैं। हम सिर्फ भारतीय नहीं बल्कि यूक्रेन में फंसे हंगरी, जर्मनी के लोगों को भी मदद कर रहे हैं। दोस्तों का हमने ग्रुप बनाया है जो जैसी मदद कर सकता है। मदद हम दे रहे हैं। कई स्टूडेंट्स और लोगों को इस्कॉन मंदिर, गुरुद्वारों में हम सुरक्षित भेज रहे हैं।

इतनी दुआएं मिल रही हैं, डर का क्या काम
वॉर एरिया में काम करने के दौरान डर के सवाल पर राजदीप ने कहा कि मैं चाहता हूं कि जितने अधिक से अधिक लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचा सकूं, पहुंचा दूं। डर के बारे में सोचने का वक्त नहीं है। कल रात मैंने बुडापेस्ट में 18 स्टूडेंट्स तक राहत सामग्री पहुंचाई, उनके चेहरे पर जो मुस्कान थी देखकर अच्छा लगा, दुआएं मिल रही हैं। ऐसे वक्त में हमे दूसरों की मदद करनी चाहिए, बस यही सोचकर काम कर रहा हूं।

देश के लोग मदद कर रहे, तो हम अपनों को कैसे छोड़ते
राजदीप कहते हैं कि वॉर के वक्त जब देश के सभी लोग अपने लोगों की मदद कर रहे हैं। ऐसे में हम अपने साथियों को अकेला कैसे छोड़ सकते है। इसलिए सफर पर निकले है। इसके अलावा उनकी एक साथी यूक्रेनियन है जिसके परिचित वहा फंसे हुए हैं, उन्हें वहां से लाया जा रहा है। उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट में रोड ट्रिप की जानकारी साझा की थी। जिसके बाद उन्हें लगातार कॉल आने लगे। लोग उन्हें इसलिए कॉल कर रहे थे। क्योंकि वो वहां सबसे करीब थे।

दो दिन में तय किया 1250 किमी का सफर
राजदीप और उनके तीन साथियों ने दो ट्रक सामान लाद कर अपना सफर शुरू किया। ट्रक में खाने का सामान जैसे कैन फूड आइटम्स, दाल चावल, पानी की बोतलें, जूस, दवाइंया (पेरासिटामॉल, डोलोमाइसिल), कपड़े (चादर-गद्दे) रखे। इसमें आर्ट ऑफ लिविंग संस्थान ने उनकी मदद की। साथ ही डोनेशन से रुपए का इंतजाम किया गया। इस दो दिन के सफर में राजदीप, यूक्रेन की इरियाना फिस्चर, शाबान सोलेमन और अमनदीप सिंह माहडोक को दो दिन लगे।

अब तक 32 लोगों की मदद की
राजदीप ने इंडियन एम्बेसी से बात कर यूक्रेन बॉर्डर तक जाने की परमिशन ली। जहां उन्हें 18 भारतीय और 14 यूक्रेनियन साथी मिले। जिन्हें उन्होंने सही सलामत रेस्क्यू कर बुडापेस्ट स्थित सेफ हाउस पहुंचाया। उनकी ट्रक में एक समय पर 9 लोगों को लाया जा सकता है। इस तरह वे उन्हें तीन से चार बार टूर कर लोगों को सही जगह पहुंचा रहे हैं। ऑस्ट्रिया में उनके कुछ साथी मौजूद हैं, जिन्होंने उनके रहने का इंतजाम किया है। इसके अलावा कई एनजीओ भी मदद कर रहे हैं।

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