मीडिया पर शिकंजा कसना शर्मनाक : टीएस सिंहदेव का भाजपा सरकार पर तीखा हमला

रायपुर। टीएस सिंहदेव ने मीडिया के लिए जारी स्वास्थ्य विभाग के आदेश को शर्मनाक बताया और कहा, भाजपा सरकार ने प्रदेश में मनमानी की सारी सीमाएं पार कर, अब मीडिया पर शिकंजा कसने की शर्मनाक कोशिश शुरू कर दी है।

गोपनीयता और प्रोटोकॉल के नाम पर: –

अस्पतालों में मीडिया के प्रवेश पर रोक,

– हर रिपोर्ट के लिए पूर्व लिखित अनुमति अनिवार्य,

और कवरेज कब, कैसे और कितनी हो, ये भी अब सरकार या अस्पताल प्रशासन तय करेगा। गोपनीयता ऑपरेशन थिएटर में हो सकती है, अपराध पीड़ितों और उनके परिजनों की हो सकती है – मगर जनता से जुड़े मुद्दों पर नहीं। उन्हें उजागर करने और उन पर सवाल करने से मीडिया को नहीं रोका जा सकता। मीडिया का प्रथम दायित्व जनता के प्रति है, और उसे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में बाधित करना संवैधानिक अधिकारों का हनन है। जहाँ मरीज़ की निजता की सुरक्षा प्राथमिकता है, वहीं अगर मरीज़ स्वयं कुछ साझा करना चाहते हैं, तो उस पर पाबंदी लगाना न केवल अलोकतांत्रिक है, बल्कि इससे व्यवस्था और प्रबंधन में आवश्यक सुधार की संभावना भी बाधित होती है। यदि कोई मीडिया संस्थान भ्रामक या तथ्यहीन खबर प्रकाशित करता है, तो वर्तमान क़ानूनों में उसके लिए पर्याप्त प्रावधान मौजूद हैं। इसलिए मीडिया पर पूर्व प्रतिबंध लगाना नाजायज़ और नागरिक अधिकारों के खिलाफ़ है। सही तथ्य सामने आने से नहीं रोके जा सकते, क्योंकि आमजन को जानकारी मिले या न मिले, मरीज़ को तो मालूम होता है कि इलाज किस स्तर का हो रहा है। शासन और प्रशासन द्वारा मीडिया पर अनुचित प्रतिबंध लगाना न तो बेहतर चिकित्सा व्यवस्था की दिशा में सहायक होगा, न मरीज़ों के हित में, और न ही संवैधानिक लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने वाला कदम होगा।

जानकारी मिली है कि भाजपा के संगठन प्रभारी आज एक महत्वपूर्ण बैठक ले रहे हैं – उन्हें इस विषय पर भी चर्चा करनी चाहिए कि मीडिया पर बैन लगाकर जनता के अधिकारों का दमन न हो। सरकारी संस्थानों को जनसेवा का माध्यम बने रहने दीजिए – उन्हें सत्ता की आलोचना से बचाने वाली ढाल मत बनाइए। पत्रकारों की कलम और कैमरा डर के आगे नहीं झुकेंगे। जनता जानकारी चाहती है – और यह उनका अधिकार है।

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