‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर पीएम मोदी की दो टूक, ट्रंप को फोन कर कहा- भारत ने ना मध्यस्थता स्वीकारी थी, ना स्वीकारेंगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Narendra Modi) ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अनुरोध पर फोन पर विस्तृत बातचीत की. इस चर्चा में पीएम मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर(Operation Sindoor) के संदर्भ में भारत, पाकिस्तान और अमेरिका के बीच हुए घटनाक्रमों पर गहराई से विचार किया. उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप को स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सीजफायर तक पहुंचने के लिए भारत-अमेरिका व्यापार सौदे या अमेरिका द्वारा भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता जैसे मुद्दों पर कभी भी चर्चा नहीं की गई थी.

पीएम मोदी ने इस बातचीत में ट्रंप को स्पष्ट रूप से बताया कि भारत-पाकिस्तान के बीच किसी भी प्रकार की मध्यस्थता को भारत ने न कभी स्वीकार किया है, न स्वीकार करेगा. उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर भारत की राजनीतिक स्थिति पूरी तरह से एकजुट है.

विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच हुई फोन कॉल की जानकारी साझा करते हुए बताया कि दोनों नेताओं की मुलाकात G-7 समिट के दौरान निर्धारित थी. पीएम मोदी कनाडा के कनानैस्किस में इस समिट में शामिल होने गए थे, लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप को जल्दी लौटना पड़ा, जिससे यह मुलाकात संभव नहीं हो सकी. इसके बाद, राष्ट्रपति ट्रंप के अनुरोध पर आज दोनों नेताओं के बीच लगभग 35 मिनट तक फोन पर बातचीत हुई.

विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने जानकारी दी कि 22 अप्रैल को राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी को फोन करके शोक संवेदना व्यक्त की थी और आतंकवाद के खिलाफ समर्थन का आश्वासन दिया था. यह दोनों नेताओं के बीच बातचीत का पहला अवसर था.

सीजफायर पर पीएम मोदी ने स्पष्ट किया सीन

यह ध्यान देने योग्य है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जब भारत ने पाकिस्तान को पहलगाम हमले का जवाब दिया, तब राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर के लिए लगातार श्रेय लिया. उन्होंने विभिन्न मंचों पर सार्वजनिक रूप से यह दावा किया कि उन्होंने व्यापार के संदर्भ में भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर स्थापित किया.

विदेश सचिव ने बताया कि पीएम मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप के साथ हुई बातचीत में ऑपरेशन सिंदूर के बारे में विस्तार से चर्चा की. उन्होंने ट्रंप को यह स्पष्ट किया कि 22 अप्रैल के बाद भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी ठोस कार्रवाई का संकल्प पूरी दुनिया के सामने रखा है.

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि 6-7 मई की रात को भारत ने केवल पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों को लक्षित किया. भारत का यह कदम बहुत ही संतुलित, सटीक और तनाव को बढ़ाने वाला नहीं था. इसके साथ ही, भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान की ओर से की गई गोलीबारी का जवाब भारत गोले से देगा.

पीएम मोदी ने भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर के संबंध में अपनी बात स्पष्ट की. उन्होंने बताया कि 9 मई की रात उपराष्ट्रपति Vance ने उन्हें फोन किया था, जिसमें उन्होंने चेतावनी दी थी कि पाकिस्तान भारत पर एक बड़ा हमला कर सकता है.

प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट रूप से कहा था कि यदि ऐसा हुआ, तो भारत पाकिस्तान को एक और बड़ा जवाब देगा. 9-10 मई की रात को पाकिस्तान के हमले का भारत ने प्रभावी तरीके से जवाब दिया, जिससे पाकिस्तान की सेना को भारी नुकसान हुआ. इसके परिणामस्वरूप, पाकिस्तान के सैन्य एयरबेस भी कार्य करने के लिए अयोग्य हो गए.

प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप को बताया कि भारत के सख्त जवाब के कारण पाकिस्तान को भारत के खिलाफ सैन्य कार्रवाई रोकने की अपील करनी पड़ी. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस पूरे घटनाक्रम के दौरान भारत-अमेरिका व्यापार समझौते या अमेरिका द्वारा भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता जैसे मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं हुई थी. केवल भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच सीजफायर पर बातचीत हुई थी, जिसमें पाकिस्तान ने आग्रह किया था.

ट्रंप अक्सर यह दावा करते रहे हैं कि उन्होंने व्यापार के मुद्दे का हवाला देकर भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर स्थापित किया है, और वे अंतर्राष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय मंचों पर इसका श्रेय लेते रहे हैं. हालाँकि, हाल ही में प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति ट्रंप के समक्ष स्पष्ट किया कि सैन्य कार्रवाई को रोकने की प्रक्रिया सीधे भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच उपलब्ध चैनल के माध्यम से हुई थी, और यह पाकिस्तान के अनुरोध पर की गई थी.

मध्यस्थता न स्वीकार है, न ही स्वीकार करेंगे-पीएम मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने भारत और पाकिस्तान के बीच अमेरिकी मध्यस्थता की किसी भी पहल को पूरी तरह से अस्वीकार कर दिया है. विदेश सचिव विक्रम मिसरी के अनुसार, मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप को स्पष्ट रूप से बताया कि भारत ने कभी भी मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया है, न ही वर्तमान में ऐसा करेगा, और न ही भविष्य में ऐसा करने की कोई योजना है. इस मुद्दे पर भारत में राजनीतिक सहमति पूरी तरह से स्थापित है.

ट्रंप ने की थी मध्यस्थता की कोशिश

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 13 जून को एक बार फिर यह दावा किया कि वह किसी भी समस्या का समाधान कर सकते हैं. कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच की दुश्मनी का जिक्र करते हुए ट्रंप ने कहा कि वह दोनों देशों को एक साथ लाने का प्रयास करेंगे. यह बयान तब आया जब व्हाइट हाउस की प्रवक्ता टी ब्रूस ने कश्मीर मामले में ट्रंप के हस्तक्षेप के बारे में सवाल का जवाब दिया. हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका की इस पेशकश को स्पष्ट रूप से अस्वीकार कर दिया. विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा प्रस्तुत विचारों को समझा और भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के प्रति समर्थन व्यक्त किया. प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत अब आतंकवाद को प्रॉक्सी युद्ध के रूप में नहीं, बल्कि एक वास्तविक युद्ध के रूप में देखता है. उन्होंने यह भी बताया कि भारत का ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है.

ट्रंप ने कहा- क्या अमेरिका में रुक सकते हैं

विदेश सचिव ने बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी से यह पूछा कि क्या वे कनाडा से लौटते समय अमेरिका में रुक सकते हैं. हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों के कारण अपनी असमर्थता व्यक्त की. इसके बाद, दोनों नेताओं ने यह तय किया कि वे निकट भविष्य में मिलने का प्रयास करेंगे.

 इजरायल-ईरान पर भी चर्चा

विदेश सचिव ने बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी ने इजरायल-ईरान के बीच चल रहे संघर्ष पर चर्चा की. रूस-यूक्रेन संघर्ष के संदर्भ में, दोनों नेताओं ने सहमति व्यक्त की कि शांति की दिशा में आगे बढ़ने के लिए दोनों पक्षों के बीच सीधी बातचीत अनिवार्य है, और इसके लिए निरंतर प्रयास करने की आवश्यकता है. इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के बारे में, दोनों नेताओं ने अपने दृष्टिकोण साझा किए और इस क्षेत्र में QUAD की महत्वपूर्ण भूमिका के प्रति समर्थन व्यक्त किया.

ट्रंप भारत यात्रा के लिए तैयार

प्रधानमंत्री मोदी ने QUAD की आगामी बैठक के लिए राष्ट्रपति ट्रम्प को भारत आने का निमंत्रण दिया, जिसे राष्ट्रपति ट्रम्प ने स्वीकार करते हुए भारत यात्रा के लिए अपनी उत्सुकता व्यक्त की. उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी वर्तमान में कनाडा में G-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद क्रोएशिया के लिए रवाना हो चुके हैं.

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