इस बार कोरोना संक्रमण की वजह से विदेशी सैलानियों ने पीलीभीत टाइगर रिजर्व व यहां की नैसर्गिंक खूबसूरती से दूरी बनाए रखी। यही वजह है कि विदेशी मेहमानों से होने वाली आय भी इस बार नहीं हो सकी। स्थानीय व अन्य जिलों से आने वाले सैलानियों से हो रही आय से ही पीलीभीत पयर्टन का राजस्व संतुष्ट होने को बाध्य है। संक्रमण का दंश ऐसा लगा कि पयर्टन सत्र ढाई माह बाद भी अब तक किसी विदेशी की आमद को दर्ज नहीं कर सका है। बावजूद इसके चूका की सुंदरता करीब पांच हजार से अधिक सैलानी निहार चुके हैं।
कोरोना संक्रमण को लेकर पिछला पर्यटन सत्र बीच में ही बंद करने से टाइगर रिजर्व को काफी नुकसान हुआ था। पिछले साल का घाटा पूरा करने के लिए इस सत्र में अधिकारियो ने पूरी तैयारी की थी। यही कारण था कि इस बार पयर्टन सत्र पहली नवंबर से शुरू कर दिया गया था। अधिकारियों की जैसी मंशा थी उससे कुछ अलग ही हो गया। स्थानीय सैलानियों के अलावा अन्य राज्यों से पयर्टक तो पहुंच रहे है लेकिन संक्रमण के कारण विदेशी मेहमानों की आवाजाही बंद पड़ी है। विदेशी मेहमानों से चूका की दूरी विभाग की आय को घटा रही है। इधर लोकल और अन्य राज्यों से आने वाले सैलानियों ने विभाग की इस कमी को पूरा करने में पीछे नहीं हट रहे है। बात यदि पिछले सत्र की करे तो इस बार पहले के मुकाबले काफी लोग यहां आ चुके और आय भी बढ़ी है।
बाघों के साथ ही अन्य वन्यजीवों ने पयर्टन के बढ़ाए मायने
पीलीभीत टाइगर रिजर्व में आकर्षण का केन्द्र जहां चूका है तो सबसे अधिक खूबसूरत यहां के वन्यजीव है। यहां पर बाघों की अच्छी संख्या के साथ ही अन्य वन्यजीवों की मौजूदगी भी ठीक है। चूका के नैर्सिग नजारे के ने जहां देश विदेश में पीटीआर का मान और गौरव बढ़ाया है तो वन्यजीवों ने भी यहां की अलग पहचान बनाई है। दुलर्भ प्रजाति के वन्यजीवों के दीदार लोगों को आकर्षित करते हैं।
गोमती उदगम स्थल भी कर रहा आकर्षित
पीलीभीत अब चूका के साथ ही गोमती उदगम स्थल के पौराणिक और मान्यता को संजोए हुए है। चूका के साथ ही गोमती की सुंदरता जिले को पयर्टन के मानचित्र पर उकेर रही है। राजधानी लखनऊ की शान गोमती को सैलानियों के लिए काफी भव्य रूप देने के साथ ही सजाया गया है। मौजूदा समय में उदगम स्थल किसी पयर्टन स्थल से कम नहीं रह गया है। ढलते सूरज की किरणों के बीच नदी के पानी में दिखने वाली लालिका लोगों को कायल कर रही है।