UNESCO World Heritage: भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को एक और वैश्विक सम्मान मिला है। यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति ने अपने 47वें सत्र में ‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप ऑफ इंडिया’ को विश्व धरोहर सूची में शामिल करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। यह भारत की 44वीं विश्व धरोहर संपत्ति है, जो मराठा साम्राज्य की स्थापत्य कला, रणनीतिक बुद्धिमत्ता और क्षेत्रीय अनुकूलन को प्रदर्शित करती है। यह सम्मान छत्रपती शिवाजी महाराज की सैन्य विरासत को नमन है, जो भारत के इतिहास में स्वर्णिम अध्याय रचती है। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसे गौरवशाली क्षण बताते हुए कहा, “ऐतिहासिक! अभिमानास्पद!! गौरवशाली क्षण!!! आपले आराध्य छत्रपती शिवाजी महाराज यांना महाराष्ट्र सरकारचा मानाचा मुजरा!!!! महाराष्ट्रातील सर्व नागरिकांचे, शिवप्रेमींचे मनःपूर्वक अभिनंदन… छत्रपती शिवाजी महाराजांचे 12 किल्ले युनेस्कोच्या जागतिक वारसा यादीत।”
मराठा किलों की वैश्विक पहचान
इस सूची में महाराष्ट्र के साल्हेर, शिवनेरी, लोहगढ़, खंडेरी, रायगढ़, राजगढ़, प्रतापगढ़, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला, विजयदुर्ग, सिंधुदुर्ग और तमिलनाडु के गिंगी किले शामिल हैं। ये किले पहाड़ी गढ़ों से लेकर तटीय चौकियों तक फैले हैं, जो मराठा सैन्य रणनीति की गहरी समझ और स्थानीय भूगोल के अनुकूलन को दर्शाते हैं। इनमें से आठ किले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित हैं, जबकि चार किले महाराष्ट्र सरकार के पुरातत्व और संग्रहालय निदेशालय के अधीन हैं। ये किले मराठा साम्राज्य की सैन्य और स्थापत्य प्रतिभा का प्रतीक हैं।
18 महीने की कठिन प्रक्रिया
‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप’ का प्रस्ताव जनवरी 2024 में यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति को भेजा गया था। 18 महीने की कठिन प्रक्रिया, जिसमें ICOM के मिशन दौरे और तकनीकी बैठकों के बाद, शुक्रवार को पेरिस में यूनेस्को मुख्यालय में यह निर्णय लिया गया। समिति के 20 में से 18 सदस्य देशों ने भारत के प्रस्ताव का समर्थन किया। 59 मिनट की गहन चर्चा के बाद, सभी सदस्य देशों, यूनेस्को और सलाहकार निकायों ने इस उपलब्धि के लिए भारत को बधाई दी।
राष्ट्रीय गौरव का उत्सव
इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर पूरे भारत में खुशी की लहर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित देशभर के नेताओं और नागरिकों ने इस अवसर पर बधाई दी है। यह सम्मान न केवल मराठा किलों की वैश्विक पहचान है, बल्कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का भी उत्सव है।

